आचार्य महाप्रज्ञ राष्ट्र की अमूल्य संपदा
बायतु।
साध्वी जिनबाला जी के सान्निध्य में तेरापंथ के दसवें आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की 14वीं पुण्यतिथि का आयोजन तेरापंथ सभा भवन बायतु में किया गया। रौनक बुरड़ द्वारा मंगलाचरण किया गया। साध्वी जिनबाला जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी के प्रवचन में जीवंतता रही। विद्व्ज्जन उनके साहित्य को पढ़ने सदैव लालायित रहते। प्रज्ञा सुमेरु महाप्रज्ञ की मेधा से निसृत साहित्य साधारण जन द्वारा भी भोग्य प्रयोग्य होता। उनके द्वारा बताए गए एक-एक प्रयोग जीवन की अनेक समस्याओं का स्वतः समाधान करने वाले हैं। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने महाप्रज्ञ साहित्य पठन की प्रेरणा दी। लगभग 25-30 भाई-बहनों ने एक साल साहित्य पठन का संकल्प ग्रहण किया।
साध्वी करुणाप्रभा जी ने महाप्रज्ञ जी के जन्म, नामकरण, बाल्यकाल आदि की रोचक घटनाओं पर प्रकाश डाला। साध्वी भव्यप्रभा जी ने उनके जीवनकाल से जुड़ी हुई कुछ स्मृतियों को ताजा करते हुए अनेक संस्मरण बताए। तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों की संयुक्त रोचक प्रस्तुति हुई। अनीता बागचार, जशोदा छाजेड़, कोमल भंसाली, हर्षिता भंसाली, प्रज्ञा बागचार, रवीना लोढ़ा, सुखदान चारण आदि ने गीतिका, कविता, मुक्तक, वक्तव्य आदि के माध्यम से अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। तेरापंथ समाज के अतिरिक्त अन्य समाज के लोगों की भी अच्छी संख्या में उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन साध्वी प्राचीप्रभा जी ने किया।