साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि
बीदासर।
समाधि केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि मनाई गई। साध्वी रचनाश्री जी ने कहा कि शासनमाता कौन होती है। जो स्वयं छतरी बनकर अपनी शीतल छाँव तले सबके पाप, ताप और संताप को हरती है, जो पूरे धर्मसंघ को स्नेहिल मातृत्व प्रदान करती है, वह होती हैµशासनमाता।
शासनश्री साध्वी यशोमती जी ने स्वरचित पद्यों के साथ शासनमाता के प्रति अपनी भावांजली प्रस्तुत की। शासनश्री साध्वी अमितप्रभा जी ने कहानी के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। शासनश्री साध्वी मदनश्री जी ने गीत के द्वारा अपने भाव प्रकट किए। साध्वी सन्मतिश्री जी ने रोचक बिंदुओं के द्वारा शासनमाता के कर्तृत्व पर अपने विचार रखे।
साध्वी विमलप्रभा जी ने शासनमाता के साथ अपने अनुभवों की जानकारी दी। साध्वी संघप्रभा जी ने शासनमाता के विचारों की शक्ति पर प्रकाश डाला। साध्वी प्रांशुप्रभा जी, साध्वी ऋजुप्रभा जी, साध्वी गीतार्थप्रभाजी आदि ने शासनमाता से जुड़े अपने प्रसंगों की प्रस्तुति दी। महिला मंडल की अध्यक्षा चंदा गिड़िया ने अपने विचार रखे। मंगलाचरण साध्वीवृंद ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी कौशलप्रभा जी ने किया।