अर्हम्

अर्हम्

आगम मनीषी, प्रेक्षा प्राध्यापक, बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, ध्यानी, ज्ञानी मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का विलेपार्ले, मुंबई में देवलोकगमन हो गया। मुनिश्री के जाने से तेरापंथ धर्मसंघ में एक ज्ञाता-विज्ञाता महासंत की क्षति हो गई। मुंबई में भंसाली ओसवाल जंवेरी परिवार से प्रेक्षा प्रवक्ता पिताश्री जेठाभाई व मातुश्री सूरज बहन से सद्-संस्कारों को प्राप्त कर जीवन का अध्यात्म ऊध्र्वारोहण कर लोकप्रिय बने। बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि के धनी मुनिश्री प्रतीक्षा संपन्न थे। विश्वविद्यालय से बी0एस0सी0 की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। इसके साथ-साथ वैराग्यभाव भी पुष्ट होता गया।
आचार्यश्री तुलसी के करकमलों से दीक्षा लेकर पूज्यप्रवरों के आशीर्वाद से जीवन विकास के दरवाजे खोल दिए। हजारों पद्यों को कंठस्थ कर कई भाषाओं का ज्ञान लिया। अनेक शोध निबंध लिख प्रतिभा को उजागर किया। बड़े नगरों-शहरों में अनेकानेक प्रोग्राम संपादित करते हुए विद्वानों आदि के सम्मुख शतावधान कर समाज को चमत्कृत कर दिया। विनय-विवेक, आज्ञा, समर्पण द्वारा आचार्यों के दिलों में स्थान जगाया। पूज्यवरों की आप पर सवाई कृपादृष्टि रही। आचार्यों ने मुनिश्री की विशेषताओं का मूल्यांकन कर कई संबोधनों से अलंकृत किया।
युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी ने 1 मार्च, 1997 में श्रीमुख से फरमाया किµ”मुनि महेंद्र कुछ कलाओं के केंद्र हैं। कुछ भाषाओं के श्रेष्ठ प्रवक्ता हैं, विज्ञान विशारद, क्षुतसंपन्न हैं और शास्त्रों के ज्ञाता हैं। उसके लिए मेरा आशीर्वाद है कि उसका चित्त अत्यधिक प्रशांत रहे। मुनिश्री ने तीन-तीन आचार्यों की सेवा करने का महा-सौभाग्य प्राप्त किया। अभी लंबे समय से मंुबई निवासी श्रावक समाज आपश्री का सफल सान्निध्य प्राप्त कर अहोभाग्य की अनुभूति करता है। कई स्थानों पर चातुर्मास कर (मुंबई में) मुनिश्री प्रेरणा स्रोत बने रहे। विद्वत् समाज में वैज्ञानिक तकनीकी प्रयोगों द्वारा समझाने की अद्भुत शैली थी। अपनी प्रतिभा की प्रभावी छाप छोड़ी। शास्त्र ज्ञाता मुनिश्री अहर्निश श्रुतअवगाहन कर आयामों का काम कर आगम भंडार भरा। अंतिम तक भगवती आगम कार्य में संलग्न रहे। मुनिश्री की अध्ययनशीलता, श्रमशीलता, अलौकिक थी।
कला दक्षता, वाक्पटुता, व्यवहार कुशलता, विनयशीलता, अप्रमत्तता, श्रमनिष्ठता, दृढ़-संकल्पी आदि सद्गुणों से जीवन सुशोभित था। मुनिश्री का प्रशस्त आभामंडल आकर्षित व प्रभावशाली था। जो भी सान्निध्य में आता वह चुंबकवत् आपका बन जाता। मुनिश्री तेरापंथ धर्मसंघ में एक महान हस्ती थे। उनके विदा होने से स्थान रिक्त हो गया। युगप्रधान धर्मचक्रवर्ती, आचार्यश्री महाश्रमण के सन् 2023 में होने वाले पावन प्रवास में मुंबई व्यवस्था समिति के मार्गदर्शक व प्रेरणा स्रोत बने रहे। उत्थान और तत्कर्ष की योजनाओं को अंजाम देने के लिए जो कार्य किया वो मुंबईवासियों के कल्याण का मार्ग बन गया। मुंबईवासी सदैव आभारी रहेंगे।
लेकिन अचानक ही गुरु दर्शन किए बिना ही आगम का काम थोड़ा-सा बीच में ही छोड़कर इतनी जल्दी कैसे विदाई ले ली, वहाँ पर इतना अर्जेंट क्या काम था। मुंबई श्रावक समाज को खालीपन लग रहा है। खैर, इसके आगे किसी का जोर नहीं चलता, नियति को जो मान्य होता है वही होकर रहता है। सहयोगी दीर्घ तपस्वी मुनि अभिजीत कुमार जी ने अंतिम क्षण तक आपकी सेवा, इंगित आराधना कर जो चित्त समाधि पहुँचाई वह विलक्षण है। तपस्या में भी सेवा कर दुगुने कर्मों की निर्जरा कर कीर्तिमान स्थापित किया है, लख-लख साधुवाद के पात्र हैं। सहयोगी संत मुनि जम्बूकुमारजी, मुनि अभिजीत कुमारजी, मुनि जागृत कुमारजी, मुनि सिद्ध कुमारजी का भी अच्छा सहयोग रहा है। मुंबई तेरापंथ श्रावक समाज ने भी निष्ठा भाव विनय भाव से मुनिश्री की दृष्टि का आराधन कर बहुत अच्छी सेवा की है। विलेपार्ले तेरापंथ श्रावक समाज ने भी इस अमूल्य अवसर का लाभ उठाते हुए सभी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित अंजाम देकर बखूबी दायित्व का निर्वाहन किया है।
मैं मुनिश्री के भावी अध्यात्म जीवन की मंगलकामना करती हुई उनकी विशुद्ध आत्मा उत्तरोत्तर ऊध्र्वारोहण की ओर प्रस्थान करती हुई शीघ्र ही मोक्ष का श्रीवरण करे, इसी शुभाशंसा के साथ-----