आचार्यश्री महाप्रज्ञ का 14वाँ महाप्रयाण दिवस
छापर।
भिक्षु साधना केंद्र के सभागार में तेरापंथ के दसवें आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 14वाँ महाप्रयाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सेवा केंद्र व्यवस्थापक शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि आज के दिन सरदारशहर में एक महान योगी का महाप्रयाण हो गया। 10 वर्ष की लघुवय में उसने अपनी माँ बालू के साथ आचार्य कालूगणी के करकमलों से दीक्षा ली। दीक्षित होकर मुनि नथमल के नाम से उसने अपनी पहचान बनाई। भाग्य से दीक्षा लेते ही उसे मुनि तुलसी का संरक्षण प्राप्त हो गया। वह उसके लिए वरदान स्वरूप था। कुछ ही वर्षों में वह ज्ञानी, ध्यानी और अनुसंधानी बन गया।
मुनि तुलसी जब आचार्य बने तो मुनि नथमल एक समर्पित सहयोगी के रूप में सदा उनके हर कार्य में जुड़े रहे। उनके समर्पण का ही परिणाम था कि गुरुदेव तुलसी ने उन्हें तेरापंथ का ताज सौंप दिया। तेरापंथ के इतिहास में एक विशेष बात हुई कि आचार्य तुलसी ने अपनी विद्यमानता में ही अपना सब कुछ त्याग करके उनको सारी सत्ता सौंप दी और महाप्रज्ञ को आचार्य घोषित कर दिया। ज्ञान का अक्षय कोष उन्हें कहा जा सकता है। ऐसा कोई विषय नहीं रहा होगा कि जो आचार्य महाप्रज्ञ की प्रवचन शैली से अछूता रहा हो। प्रेक्षाध्यान मानव जाति को उनका महान अवदान था। ध्यान शिविरों में बिना किसी जाति, भेद के लाखों-लाखों व्यक्ति भाग लेकर स्वस्थ और तनाव मुक्त जीवन जीने की कला सीखते थे।
इस अवसर पर शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने एक श्रद्धा भरा गीत भी प्रस्तुत किया। मुनि हेमराज जी ने आचार्य महाप्रज्ञ के प्रति अपनी भावना प्रस्तुत की। शासनश्री के नमस्कार महामंत्र उच्चारण के बाद तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण गीत गाया। तेरापंथी सभा के मंत्री चमन दुधोड़िया, महिला मंडल उपाध्यक्षा सरोज भंसाली, हुलास चोरड़िया, सूरज नाहटा सहित अनेक गणमान्यजनों ने गीत व भाषण के द्वारा आचार्य महाप्रज्ञजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संयोजन महिला मंडल उपाध्यक्षा मंजु दुधोड़िया ने किया।