अर्हम्

अर्हम्

अर्हम्

मुनिवर का गौरव गाते हैं।
श्रद्धा के सुमन सजाते हैं।।

मुंबई में जन्म लिया पावन
जेठा भाई सुत मन भावन
वे जीवन सफल बनाते हैं।।

व्यक्तित्व तुम्हारा था सुंदर
हर पल हर क्षण देखा अंदर
जीवन से शिक्षा पाते हैं।।

समता का शंख बजाते वे
आगम आलोक दिराते वे
प्रभु कीर्ति शिखर चढ़ाते हैं।।

जिनवाणी जिनके कण-कण में
भिक्षु की भक्ति तन-मन में
श्रुत आराधक कहलाते हैं।।

इतनी क्या जल्दी जाने की
उस दिव्य ज्योति को पाने की
वहाँ आगम ध्यान लगाते हैं
सुरगण जिनको आज बधाते हैं।।

लय: जय बोलो संघ सितारे की---