अर्हम्

अर्हम्

मुनिवर महेंद्र स्वामी ने इतिहास बनाया है।
बहुश्रुतता से जिन-भैक्षव शासन चमकाया है।।

आगम के गहरे ज्ञानी, विज्ञान-गणितज्ञाता।
अवधानी, अनुसंधानी पुरुषार्थ बहाया है।।

वत्सलता से सहलाते, अनुपम तेजस्विता।
मौके पर वाचंयम का आदर्श दिखाया है।।

जीवन में अजित स्वामी से सच्चित्त समाधि रही।
सेवा का अन्य सभी ने कर्तव्य निभाया है।।

मुंबई में गुरु चैमासा गुरु सन्निधि मिल जाती।
लगता तेरी अर्जी पर मोच्छब बक्साया है।।

प्रभु के दर्शन हो जाते मुनिवर! क्या जल्दी थी।
भगवई पूर्ण होने का गुरु अवसर आया है।।

हे सद्गुरु-संघप्रभावक, हम स्मृतियाँ करते हैं।
सद्गुरु-वंदन हित आना शुभ भाव सजाया है।।

लय: प्रभु (श्री) पाश्र्वदेव चरणों में----