त्रि-दिवसीय कार्यक्रम
राजलदेसर
साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का जन्म दिवस एवं बोधि दिवस मनाया गया। डॉ0 साध्वी परमयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु सिंह पुरुष थे। आद्य प्रवर्तक भिक्षु स्वामी के पास सकारात्मक नजरिया और सकारात्मक चिंतन था। समारोह में साध्वी धर्मयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी मुक्ताप्रभा जी एवं साध्वी कुमुदप्रभा जी ने भिक्षु स्वामी के चरणों में भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की।्र
इस अवसर पर तेरापंथी सभा, महिला मंडल एवं कन्या मंडल की तरफ से आचार्य भिक्षु का गुणगान किया गया। सभा अध्यक्ष नवरत्न मल बैद ने साध्वीवृंद का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन कलिका चोपड़ा ने किया।
डॉ0 साध्वी परमयशा जी ने कहा कि चातुर्मास अहं से अर्हं की स्थापना है। समदर्शी प्रियदर्शी बनने का संकल्प है। भोग से त्याग का अभियान है। अत: अपेक्षित है हम सब अनावेश अनासक्ति एवं अनाग्रह की विशेष आराधना करें। इस अवसर पर साध्वीश्री द्वारा मर्यादा पत्र का वाचन किया एवं श्रावक-श्राविकाओं ने त्याग-प्रत्याख्यान किए। साध्वीश्री जी की प्रेरणा से स्वास्तिक के आकार में नवकार महामंत्र का जप अनुष्ठान करवाया गया।
तेरापंथ स्थापना दिवस पर डॉ0 साध्वी परमयशा जी ने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन हमें एक महान गुरु एवं एक महान संघ मिला। आज के दिन आचार्य भिक्षु ने शुद्ध चारित्र ग्रहण किया और वह दिन तेरापंथ का स्थापना दिवस बन गया। इस अवसर पर साध्वी धर्मयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी मुक्ताप्रभा जी, साध्वी कुमुदप्रभा जी ने गीत, कविता, वक्तव्य के माध्यम से प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा, महिला मंडल, कन्या मंडल ने गीतिका एवं विचारों के माध्यम से अपनी भावनाएँ प्रकट की। रात्रि में धम्म जागरण का आयोजन किया गया। जिसमें साध्वीवृंद एवं श्रावक-श्राविकाओं ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियाँ दी।