मानव जीवन का सदुपयोग धर्मसाधना में करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मानव जीवन का सदुपयोग धर्मसाधना में करें: आचार्यश्री महाश्रमण

कामरेज, सूरत 20 अप्रैल, 2023
अध्यात्म के प्रेरक आचार्यश्री महाश्रमण जी विशाल जनमेदिनी के साथ प्रातः लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर कामरेज के तेरापंथ भवन में प्रवास हेतु पधारे। कामरेज सूरत शहर के उपनगर जैसा ही है और श्रद्धा का अच्छा क्षेत्र है। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि जैन शासन में आगम शास्त्र है। हमारी परंपरा में 32 आगम सम्मत हैं। आगमों का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। आगम एक दिशा निर्देशक, नियामक है। शास्त्र में बताया गया है कि मोक्ष मार्ग क्या है? चार चीजें बताई गई- ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। ये चारों मिलकर एक मार्ग बनते हैं। अलग-अलग मार्ग नहीं हैं। कोरा ज्ञान, दर्शन, चारित्र या तप पर्याप्त नहीं है।
ज्ञान और आचार नदी के दो तट हैं। एक किनारे से दूसरे किनारे पर जाने के लिए पुल सहारा बनते हैं। विचार और आचार के लिए संस्कार का पुल होना चाहिए। ज्ञान को आचार में मिलने के लिए दर्शनरूपी पुल चाहिए। श्रद्धा-आस्था अच्छी हो जाए। सर्व दुःखमुक्ति-मोक्ष का मार्ग है-सम्यग् ज्ञान, सम्यग् दर्शन और सम्यग् चारित्र। अच्छे विचारों को सुनना भी अच्छी बात है। आदर्श में आगे बढ़ने के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ें। जो बातें सुनी वो जीवन में आ जाएँ तो और अच्छी बात हो सकती है। कई बार एक-एक वाक्य कल्याण करने वाला हो सकता है। यह एक प्रसंग से समझाया कि बहुत गया, थोड़ा बचा, रंग में भंग मत डालो। प्रवचन में कई बार ऐसे वाक्य आ जाते हैं कि वैराग्य हो सकता है, जीवन की समस्याओं का समाधान मिल सकता है। सम्यग् ज्ञान हो और उस पर आस्था दृढ़ हो फिर आचार भी ठीक हो जाए, इसका मतलब मोक्ष के मार्ग पर हम स्थित हो गए हैं, आगे बढ़ सकते हैं। चारित्र में महाव्रत धारण करना भी बड़ी बात है।
गृहस्थ जीवन में भी संयम का जितना विकास हो सके, साधना का प्रयास करें। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम जैन-अजैन किसी के भी जीवन में आ जाएँ तो आदमी का जीवन संवर सकता है। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति से जीवन अच्छा बन सकता है। मानव जीवन को व्यर्थ न गँवाएँ, इसका धर्म साधना में अच्छा उपयोग करें। धन साथ में जाने वाला नहीं है, धर्म साथ में जाने वाला है, उस पर विशेष ध्यान दें। आज कामरेज के तेरापंथ भवन में आना हुआ है। सबके जीवन में धार्मिक आचरण रहे। आत्म-कल्याणकारी अच्छे काम चलते रहें। जैन-अजैन सभी में अच्छे धार्मिक संस्कार पुष्ट होते रहें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि एक शिष्य गुरु के पास जाकर बोला कि मुझे मोक्ष प्राप्त करना है। तो गुरु ने बताया कि मोक्ष को प्राप्त करने के लिए ज्ञान की क्यारी को सींचना होगा। श्रद्धा की आँच में अपने आपको तपाना होगा और चारित्र के पथ पर आगे बढ़ना होगा; तो लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा। सम्यग् ज्ञान, दर्शन और चारित्र की आराधना से मोक्ष प्राप्त हो जाएगा।
हम इन तीनों को समझकर जीवन में उतारने का प्रयास करें। गुरु हमारे मार्गदर्शक होते हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष कंवरलाल धूपिया, महावीर गन्ना, तेयुप अध्यक्ष पिंटू मांडोत, प्रवीण बाबेल, कन्या मंडल, महिला मंडल, वर्धमान स्थानकवासी संघ से मुकेश कोठारी, चंदनबाला ने अपने भाव व्यक्त किए। स्थानकवासी विधायक मनुभाई पटेल ने पूज्यवर के दर्शन किए। महिला मंडल एवं तेयुप ने समूह गीत प्रस्तुत किया। किशोर मंडल व ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।