विभिन्न विधाओं के लेखनी सम्राट थे आचार्य महाप्रज्ञ

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विभिन्न विधाओं के लेखनी सम्राट थे आचार्य महाप्रज्ञ

दिल्ली।
शासनश्री साध्वी संघमित्राजी एवं साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत भवन में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, दिल्ली के तत्त्वावधान में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 14वाँ महाप्रयाण दिवस मनाया गया। इससे पूर्व दोनों साध्वीवृंद का अणुव्रत भवन के ऊपरीतल में आध्यात्मिक मिलन हुआ। विनय व वात्सल्य की धारा का अवलोकन कर श्रावक समाज अभिभूत हो गया।
शासनश्री साध्वी संघमित्राजी ने कहा कि अध्यात्म क्षितिज के देदीप्यमान दिनकर आचार्यश्री महाप्रज्ञजी देदीप्यमान दिनकर आचार्य महाप्रज्ञजी ने अपनी प्रज्ञा की प्रखर लौ से संघ-गगन को तेजोदीप्त कर दिया। उनके प्रज्ञारूपी स्तंभ का सहारा लेकर सैकड़ों संघ-चमन की लताएँ पल्लवित-पुष्पित एवं विकसित हुई जो आज संघ-उपवन को सुवासित कर रही हैं। प्रज्ञा के विराट रूप आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को शत्-शत् नमन। शासनश्री साध्वीश्री जी ने कहा कि आज हमारे धर्मसंघ की एक प्रबुद्ध एवं प्रभावशाली साध्वी अणिमाश्री जी से हमारा मिलना हुआ है। इन्होंने दक्षिण भारत, पूर्वांचल एवं पश्चिमांचल की प्रभावी यात्राएँ कर संघ की प्रभावना की है।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि अज्ञ से विज्ञ, विज्ञ से प्रज्ञ एवं प्रज्ञ से महाप्रज्ञ बनने की एक सफल यात्रा का नाम है-आचार्य महाप्रज्ञ। कवि, लेखक, वक्ता, संगायक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, आगमज्ञ, तत्त्वज्ञ, पंडित, आशुकवि आदि अनेक उपमाओं से उपमित महामानव का नाम है-आचार्य महाप्रज्ञ। उनकी नवोन्मेषी प्रज्ञा ने साहित्य जगत को समृद्ध बनाया। अनिर्वचनीय विलक्षण लेखनी के धनी आचार्य महाप्रज्ञ को श्रद्धा का अर्घ्य समर्पित करते हुए यही मंगलकामना करती हूँ कि हमारी भी प्रज्ञा जागृत हो एवं वो प्रज्ञा संघ विकास में योगभूत बने।
साध्वीश्री जी ने कहा कि आज वर्षों बाद शासनश्री के दर्शन पाकर मन आह्लादित एवं प्रफुल्लित है। शासनश्री हमारे धर्मसंघ की अति विशिष्ट साध्वी हैं। आचार्य तुलसी के युग में इन्होंने प्रबंध निकाय का दायित्व संभालकर अपने प्रबंध कौशल का परिचय दिया है। आपकी लेखनी में दम एवं वाणी में ओज है। आप निरामय रहते हुए साधना करें एवं समाधि का वरण करते रहें। शासनश्री साध्वी शीलप्रभाजी आदि सभी साध्वियों का वात्सल्य मुखरित हो रहा है।
शासनश्री साध्वी शीलप्रभाजी, साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी डॉ0 सुधाप्रभाजी, साध्वी ओजस्वीप्रभाजी, साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने अपने आराध्य की अभिवंदना में भाव सुमन अर्पित किए। साध्वी समत्वयशा जी एवं साध्वी समाधिप्रभाजी ने अपने सुमधुर स्वरों से स्वरांजलि प्रस्तुत की। मंच संचालन डॉ0 साध्वी सूरजयशा जी ने किया। साध्वी शीलप्रभाजी, साध्वी समाधिप्रभाजी, साध्वी ओजस्वीप्रभाजी ने साध्वियों की भक्ति में गीत की प्रस्तुति दी। साध्वीवृंद द्वारा गीत के माध्यम से अभिव्यक्ति दी। दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, शाहदरा सभा के अध्यक्ष पन्नालाल बैद, डालमचंद बैद, रमेश कांडपाल, ओसवाल समाज के मंत्री राजेंद्र सिंघी आदि वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। शाहदरा महिला मंडल ने मंगल संगान प्रस्तुत किया।