मेरे त्राण

मेरे त्राण

मेरी पूजा मेरी अर्चा तूँ मेरा भगवान है।
तेरा साया मेरा जीवन तू मेरा वरदान है।
मन-मंदिर के ओ मुरलीधर तू मेरा अभिमान है।
दिव्य दिवाकर सिद्धि-शिवालय तू मेरा सम्मान है।।


कहा जाता है सद्गुरु का मिलना शिष्य की पुण्याई और सद्भाग्य का सूचक होता है। लेकिन ऐसे वीर्यधर, ज्योतिर्धर, कीर्तिधर, धृतिर्धर अनंगकेतु गुरु जो जन-जन के जीवन को उजालों से भरने वाले महासूर्य अलौकिक प्रज्ञा का महाशिखर, हर समस्या का समाधान देने वाले महासमंदर, नई ऊर्जा का महापर्याय जिनके विचारों में महावीर की साधना बुद्ध की करुणा, कृष्ण का कर्म योग, माधुर्य मीरा की भक्ति, कबीर की क्रांति के दर्शन होते हैं ऐसे ऐश्वर्य संपन्न महासुमेरु गुरु का प्राप्त होना शिष्य के लिए कितने सद्भाग्य की बात है कि मुझे ऐसे गुरु का सान्निध्य प्राप्त है। आगम में जब पढ़ाµ‘न यावि मोक्खो गुरुहीलणाए’ तब मन में प्रश्न उठा गुरु ऐसी क्या चीज होती है? जिसके लिए आगम में भी ऐसा कहा गया है पर जब मैंने अपने गुरु आचार्यश्री महाश्रमण जी को देखा तब लगा वास्तव में यह उचित है। गुरु कितनी महनीय चीज होती है। मैं अपने गुरु को देखती हूँ तो गर्व होता है कि ऐसे असाधारण व्यक्तित्व मेरे गुरु हैं। मैंने अपनी जिंदगी में अनुभव किया कि जहाँ जैसी परिस्थिति हो मेरे गुरु किस तरह मेरी ढाल बनकर रहे हैं। वैशाख कृष्णा दूज 2016, अचानक ही पेरेलिसिस का स्टोक आ गया। लगभग 1 घंटा बेहोशी की हालत, सबको लग रहा था कि अब क्या होगा? कुछ समय बाद जब मैं होश में आई मेरे से बोला नहीं जा रहा था। मैंने फोटो के लिए इशारे से कहा लोगों का सुझाव था कि जगह चेंज कर दो। वहाँ तक चलकर मैं कैसे गई मुझे पता ही नहीं चला। डॉक्टर को दिखाया गया, पूरी हिस्ट्री सुनी, डॉक्टर ने कहा आप जिस तरह से बता रहे हो उसके एकोर्डिंग तो आप या तो ऊपर होते या बैड़ पर। मेरे को आश्चर्य हो रहा है, आपको मेरे सामने देखकर। मैंने कहाµडॉक्टर मेरे गुरु का फोटो हाथ में आने के बाद क्या हुआ, मुझे पता नहीं। डॉक्टर ने कहा हमारी मेडिकल साइंस नहीं मानती पर मुझे आश्चर्य हो रहा है। इतने महान आपके गुरु हैं क्या? डॉक्टर ने कहा Life Time साधु जीवन की चर्या भी नहीं पाल सकोगे। आपका शरीर वैसा नहीं रहा है। बस दवाई के भरोसे जिंदगी निकालो। वहीं पर मेरे डॉक्टर आचार्यश्री महाश्रमण जी के लगभग 40 संदेश आ गए, हर संदेश में आशीर्वाद, मंगलकामना और मोटिवेशन; यह है मेरे गुरु की गुरुता। मुँह टेढ़ा हो गया था, बोलने की बहुत दिक्कत हो रही थी, सोच रही थी क्या होगा? सुबह जैसे उठी मेरे भगवान के दर्शन हुए, समस्या का समाधान देते हुए उन्होंने ‘¬’ का जप बताया। अभी लगता ही नहीं क्या वो समस्या थी क्या? इंदौर के अंदर जब मैंने बताया शासनमाता ने कहा आश्चर्य हो रहा है कैसे गुरुदेव ने इस स्थिति में संभाला। 30-40 संदेश किसको कहते हैं। डॉक्टर जय ने कहा नेच्यूरोपैथी ट्रीटमेंट मैं दे रहा हूँ और पता नहीं कैसे 10 प्रतिशत की जगह 20-25 प्रतिशत आराम मिल रहा है। वास्तव में मुझे आश्चर्य हो रहा है।
जब गुरुदेव के संदेश डॉक्टर ने पढ़े तब कहाµवास्तव में जहाँ ऐसे गुरु संभालते हैं वहाँ किस बात की चिंता। मेरे गुरु की शक्ति वात्सल्य और मंगलकामना से अभी लगभग 15, 17, 19 किलोमीटर चल लेती हूँ। लगभग सब कार्य कर लेती हूँ। जहाँ डॉक्टर ने कहा था आधा पार्ट बॉडी का काम नहीं कर रहा है, आप एक जगह बैठ जाइए वहाँ मेरे गुरु के चरैवेति-चरैवेति के आशीर्वाद काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं 2021 में इंदौर में एक साध्वीजी की सेवा में थी कुछ प्रॉब्लम हुई डॉक्टर ने डाइग्नोस्ट किया। गाँठ हो गई है। अभी ऑपरेशन करना पड़ेगा, वरना बड़ा रूप ले लेगी। मैंने कहा अभी डेट फिक्स नहीं कर सकती। भीलवाड़ा में गुरुदेव की सेवा छुटेगी। गुरुदेव के दर्शन किए। साध्वी गौरवयशा जी ने निवेदन किया। पूज्यप्रवर ने मंगलपाठ लगभग 2-3 बार सुनाया, जप के लिए फरमाया। लगभग 1 साल के पीरियड में बिना दवाई, बिना ऑपरेशन मुझे स्वस्थ कर दिया। इतनी क्रिटिकल कंडीशन में मेरे गुरु मेरे त्राण बने हैं। एक कदम और आगे चलूँ तो मेरे गुरु करुणा के भी अजò स्रोत हैं। लाडनूं के अंदर एक बार स्वास्थ्य खराब हो गया। मैं पूज्यप्रवर के पास मंगलपाठ सुनने गई मेरे से चला नहीं जा रहा था। पूज्यप्रवर ने फरमाया तुमको क्या हुआ है? जैसे ही बोलने लगी उस कृपासिंधु ने फरमाया तू मत बोल मेरे को कष्ट हो रहा है ना? मैं तुमको मंगलपाठ सुना देता हूँ। ऐसी कई घटनाएँ हैं जो मेरे गुरु की गुरुता के दर्शन कराती हैं। ऐसे दिव्यता के दिवाकर, भव्यता के भास्कर, अध्यात्म योगी, प्रज्ञा महर्षि, ऊर्जापुंज के दीक्षा कल्याणक अवसर पर आपके दीर्घायु, चिरायु होने की कामना करती हूँ। आप तेरापंथ की ही वल्गा नहीं पूरे विश्व की वल्गा को अपने हाथ में थामते हुए युग का उद्धार करो। हे युगप्रधान! युग को तुमसे बहुत आशा है। आप अपने कोमल कदमों से युग की धरती को, कोने-कोने को नाप रहे हैं आपको पता है युग की आपसे क्या आशा है। हिंसा आदि के तांडव में कैसे अहिंसा की, शांति की अपेक्षा है। यही मंगलकामना कर रही हूँ कि आप क्रोड दिवाली राज करो और हम शिष्यों को आपश्री के लंबे सान्निध्य के साथ आपश्री की छत्रछाया में साधना करने का मौका मिले। मेरे गुरु हम शिष्यों को मोटिवेशन देते हुए फरमाते हैंµपंखों पर विश्वास नहीं वह परिंदा क्या? चरगों पर विश्वास नहीं वह चरिंदा क्या? साँस लेने का काम जिंदगी नहीं है, अपने आप पर विश्वास नहीं वह जिंदा क्या? ऐसे हमारे जीवन को संवारते हैं। ऐसी अनेक घटनाएँ मेरे जीवन की, मेरे गुरु के साथ जुड़ी हुई है, जिसके आधार पर मैं कह सकती हूँ कि मेरे गुरु मेरे प्राण हैं, मेरे त्राण हैं, मेरे विश्वास हैं। मेरे जीवन के आधार हैं। जहाँ पर मेरे गुरु की परोक्ष सन्निधि भी इतना काम कर रही है। इतना पॉवर है वहाँ प्रत्यक्ष सन्निधि में कितना पॉवर होगा। वास्तव में मेरे गुरु पूरी दुनिया के लिए आदर्श हैं। ‘सत्यं-शिवं-सुंदरं’ के महासमंदर हैं। ऐसे गुरु के चरणों में शत्-शत् वंदन-अभिनंदन।