एक दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन
पूर्वांचल-कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में एक दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर बांगुर एवेन्यू स्थित तुलसीधाम लोदी भवन में तेरापंथी सभा, कोलकाता-पूर्वांचल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। शिविर में लगभग 125 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जीवन को सुसंस्कृत करने का महत्त्वपूर्ण घटक है आचार, विचार, संस्कार, व्यवहार। आचार प्रथम धर्म है। आचार के बिना जीव पंगु है। चरण की नहीं आचरण की पूजा करें, चित्र की नहीं चारित्र की पूजा करें। जिसका आचरण श्रेष्ठ होता है वह अच्छा इंसान कहलाता है। सकारात्मक विचार से व्यक्ति का आभामंडल पवित्र होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि व्यक्ति की पहचान संस्कार से होती है। संस्कार हमारे जीवन की अनमोल संपदा है। जीवन की थाती है। बालकों को संस्कारवान बनाने की शाला है ज्ञानशाला। ज्ञानशाला के माध्यम से बालक संस्कारी बन सकते हैं, अच्छे इंसान बन सकते हैं। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। बांगुर ज्ञानशाला के बच्चों ने लघु नाटिका प्रस्तुत की। शिविर में मुनि जिनेश कुमार जी, मुनि परमानंद जी, उपासक सुरेंद्र सेठिया एवं उपासक मालचंद भंसाली ने प्रशिक्षण दिया। शिविर में चित्रकला प्रतियोगिता हुई, जिसमें प्रथम स्थान नेहा जैन, दमदम, द्वितीय स्थान राशि भंडारी, तृतीय जेनिका गोयल, जूनियर में प्रथम स्थान पिसा तातेड़ ने प्राप्त किया। सभी को सभा द्वारा पुरस्कृत किया गया। शिविर में ज्ञानशाला की 21 प्रशिक्षिकाओं ने अपनी सेवा दी।