अर्हम्

अर्हम्

जिनवर सम गुरुवर का दरबार सुहाता है।
करुणानिधि प्रभुवर का हर भक्त दीवाना है।
पाँचों पद जहाँ रहते उन्हें शीष झुकाना है।।

णमो अरहंताणं के सर्वोत्तम प्रतिनिधि हैं।
अमृतमय प्रवचन से देते प्रजानिधि हैं।
सात्त्विक तात्त्विक चिंतन शिखरों चढ़ाना है।।

णमो सिद्धाणं का ध्येय भव्यों को देते हैं।
अक्षय अतुल्य अविचल आनंद लेते हैं।
निश्चल महाज्योति का हमें ध्यान लगाना है।।

णमो आयरियाणं है भवसागर तारणहार।
ये अष्ट संपदा के महामालिक पारावार।
मनमोहक मुद्रा में बसता खजाना है।।

णमो उवज्झायाणं ज्यों अनुशीलन करवाते।
आर्हत् वाङ्मय महिमा जन-जन को बतलाते।
महाज्ञानी महाश्रमण का गौरव माना है।।

णमो लोए सव्वसाहूणं अद्भुत आराधक है।
जब देखो जहाँ देखो समतामय साधक है।
पावन प्रशस्त जीवन जाना पहचाना है।।
गणपाल करे रिघपाल, स्वस्तिक सजाना है।।

लय: ऐ मेरे दिल---