ज्योति पुरुष की अभ्यर्थना

ज्योति पुरुष की अभ्यर्थना

लो अभिनंदन शत्-शत् वंदन तेरापंथ सरताज।

आज मौसम मुस्काया, कल्पतरु लहराया।।आं0।।

सूरज की स्वर्णिम किरणें आज उतारे तेरी आरती।
अम्बर धरती झूमै गाती, दिशाएँ मंगल भारती।
आज दिवाली, भोर रूपाली, उतरे देव कुमार।।

अमृत का छलका दरिया बह रही आनंद की धार है।
स्वस्तिक उकेरे आँगन खुशियों का उमड़ा पारावार है।
पुण्य ऋचाएँ, छंद रचाएँ, घर-घर मंगलाचार।।

कीर्ति पुरुष तेरी मलयज सी सौरभ फैले संघ में।
रंग दो चुनरियाँ तुम गहरी श्रद्धा बासंती रंग में।
महातपस्वी, परमयशस्वी, श्रद्धानत् संसार।।

चाँद सितारों की तुमको लग जाए उमरियाँ कामना।
अक्षय हो ज्ञान ज्योति वर्धमान संपदा हो भावना।
हे ज्योतिर्मय, रहो निरामय, जीवन सदा बहार।।

लय: मिलो न तुम तो----