अर्हम्

अर्हम्

बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, आगम तत्त्ववेत्ता, ज्ञान विज्ञान के विज्ञाता, विज्ञान के अनुसंधाता, श्रद्धेय मुनिश्री महेंद्र कुमार जी स्वामी ने अपनी संपूर्ण प्रतिभा को गुरु चरणों में समर्पित करके जो कार्य किए हैं, धर्मसंघ को जो सेवाएँ दी हैं, उन्हें शताब्दियों तक याद किया जाएगा। आपका समग्र जीवन गुरु चरणों में समर्पित रहा। आपश्री का जीवन खुली पुस्तक के समान था। एक ओर विद्वत्ता की पराकाष्ठा को छूने वाला आपका व्यक्तित्व दूसरी ओर अहर्निश आगम अनुसंधान से जिन शासन की प्रभावना में सक्रियता।तेरापंथ धर्मसंघ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों का संचालन द्वारा आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ के अहिंसा, शांति के अवदानों को व्यापकता दी। आपके जीवन की अगणित विशेषताओं को मेरे जैसा अल्पज्ञ बताने में असमर्थ है। मन-मस्तिष्क में विचारों का ज्वार है, परंतु वे शब्द नहीं जिनको व्यक्त कर सकूँ।
मेरे जीवन निर्माता मुनिश्री सुमेरमल जी ‘सुमन’ यथाअवसर आपश्री के आगम विद्या, तत्त्व विद्या, आत्म विद्या में निपुणता की चर्चा कराते रहते। मेरे ऊपर सदैव आपका कृपामय वात्सल्य रहा। मेरे जीवन के वे अमूल्य क्षण हैं। सदैव स्मृति पटल पर अंकित रहेंगे। ऐसे दुर्लभ व्यक्तित्व के प्रति श्रद्धानत प्रणत होकर श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
सह दीक्षित, तपस्वी मुनिश्री अजित कुमार जी स्वामी, मुनि जम्बू कुमार जी, मुनि अभिजीत कुमार जी, मुनि सिद्धकुमार जी, मुनि जागृत कुमार जी आदि सभी संतों ने तन-मन सर्वात्मना समर्पित भाव से सेवा की है, सदैव स्तुत्य रहेगी। विशेषकर मुनिश्री अजित कुमार जी स्वामी ने सेवा, स्वाध्याय-ध्यान तपस्या की त्रिवेणी से मुनिप्रवर का हृदय जीता। मुनि अभिजीत कुमार जी ने अपना स्वयं का व साथ वाले सभी संतों के विकास में अहम् भूमिका निभाई है।