अर्हम्

अर्हम्

बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, आगम मनीषी प्रो0 मुनिश्री महेंद्र कुमार जी स्वामी जैन जगत के एक उज्ज्वल नक्षत्र बनकर रहे। उच्चतम शिक्षा, श्रेष्ठता से उत्तीर्ण कर सत्य को यथार्थ रूप में गहराई से समझकर आचार्यश्री तुलसी के करकमलों द्वारा संयम अंगीकार किया। आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी एवं आचार्यश्री महाश्रमण जी ये तीनों ही आचार्यप्रवर की सन्निधि में आपश्री ने अप्रमत्त बोध से चारित्र की पालन की एवं संघ को अपनी विशेष सेवाएँ प्रदान की। प्रेक्षाध्यान के विकास में आपश्री का अथक् परिश्रम रहा। कई भाषाओं के जानकार आपश्री ने जैन-जैनेत्तर लोगों के जीवन में अध्यात्म को उतरवाया। अनेकानेक नेशनल, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में आपकी विद्वत्ता सराहनीय रही। आप साइंस एवं स्प्रिच्युअलिटी के संगम स्थल रहे। बचपन से ही मुझे कई बार आपकी सेवा-उपासना का अवसर मिला। संसारपक्षीय पारिवारिकजन या अन्य श्रावक के माध्यम से आपश्री मुझे कई प्रेरणा प्रदान कराते रहे। इस बार की मेरी गुजरात यात्रा में तो यह विशेष रहा। शासनश्री प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल जी स्वामी के प्रति आपका प्रमोद भाव सदैव स्मृति में रहेगा। सभी सहवर्ती संतों ने विशेष आत्मीय भाव से मुनिश्री की सेवा की जो उन संतों की सरलता और सेवा साधना के साथ ही धर्मसंघ में सेवा की महानता का सूचक है। मैं और सहयोगी मुनि श्रद्धेय दिव्य आत्मा के शीघ्रातिशीघ्र मोक्षश्री के वरण की आध्यात्मिक अभिलाषा करते हैं।