अर्हम्

अर्हम्

बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, आगम मनीषी प्रेक्षा प्राध्यापक प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी का जीवन अनेक विशेषताओं का संगम था। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञजी एवं आचार्य महाश्रमणजी की दृष्टि के आराधक संत थे। संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा और आत्मनिष्ठा की त्रयी से जीवन समन्वित था। अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, संस्कृत आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। ज्ञान चेतना और अध्यात्म चेतना के द्वारा संघ विकास में आपका अहर्निश योगदान प्रणम्य है। अप्रमत्त जीवन शैली सभी के लिए प्रेरक है। भिक्षु शासन में अपनी साधना को शिखर तक पहुँचाया। आपका व्यक्तित्व यशस्वी, तेजस्वी और वर्चस्वी था। आपके कर्तृत्व की गाथा सबकी जुबान है। ऐसे साधक मुनि महेंद्र कुमार जी ने अपनी संयमी यात्रा को सानंद संपन्न किया। निरंतर उनकी आत्मा अध्यात्म के सोपान पर आरोहण करती रहे और अपने लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करे। यही हम सभी साध्वियों की मंगलकामना।