अर्हम्

अर्हम्

छुप गया एक तारा,
भूल नहीं पाएँगे मुनिवर प्यारा नाम तुम्हारा।

छोटी-सी उमर में तुमने, संयम पथ अपनाया,
तुलसी महाप्रज्ञ ने तुमको आगे खूब बढ़ाया,
आगम मंथन किया शुभंकर, गुरुदृष्टि से सारा,
छुप गया एक तारा।।

प्रेक्षा प्राध्यापक अलंकरण गुरु तुलसी से पाया,
अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से, शासन में नाम कमाया,
शासनश्री मुनिवर जी तुमने, भर दिया ज्ञान भंडारा,
छुप गया एक तारा।।

महाश्रमणजी ने भी तेरे ज्ञान की करी प्रशंसा,
गुरु भी जिव की करे प्रशंसा, काम किया हाँ वैसा,
गुरु कृपा से मुनिवर तेरा, चमका भाग्य सितारा,
छुप गया एक तारा।।

संतों ने भी सेवा करके, अपना फर्ज निभाया,
तुममें भी श्रम करके संतों को भी खूब पढ़ाया,
संयम की कर शुद्ध साधना, जग से लिया किनारा,
छुप गया एक तारा।।

सुव्रत, मंगल, शुभम् मुनि, श्रद्धांजलि अर्पित करते,
तेरा हाँ उपकार मुनिवर, भूल नहीं हम सकते,
तेरे पावन चरणों में शत्-शत् है नमन हमारा,
छुप गया एक तारा।।

लय: संयममय जीवन हो---