आगम मनीषी ज्ञान विधान

आगम मनीषी ज्ञान विधान

आगम मनीषी ज्ञान विधान।
बहुश्रुत परिषद् के संयोजक मुनि थे मतिमान---आगम।।

मोहमयी मुंबई में जनमें, फिर भी प्रखर विरक्ति मन में।
पाई ऊँची लौकिक शिक्षा, तुलसी गुरु कर से ली दीक्षा।
किया निछावर जीवन सारा, पाया गहरा ज्ञान---आगम।।

गण-गणपति से थी इकतारी, महकी सद्गुण से फूलवारी।
प्रेक्षा प्राध्यापक प्रोफेसर, पाए सुगुरु से संबोधन वर।
महाप्रज्ञ और महाश्रमण से पाया वर सम्मान---आगम।।

दिया प्रशिक्षण पूर्ण वर्ष भर, थे विद्यार्थी स्वयं आर्यवर।
विश्व शांति सम्मेलन अवसर, करते सुघड़ हिंदी भाषांतर।
सतरह भाषाओं के ज्ञाता, विज्ञाता विद्वान---आगम।।

जब भी हॉस्पिटल में जाते, पुनः स्वस्थ हो वापस आते।
भगवती सेवा में लग जाते, युवकों सा नव जोश दिखाते।
किंतु अधूरा छोड़ गए क्यों? गुरु दर्शन अरमान---आगम।।

लय: कितना बदल गया---