सम, शम और श्रम के पुजारी थे श्रमण महावीर

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सम, शम और श्रम के पुजारी थे श्रमण महावीर

बीदासर।
साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में महावीर जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम साध्वीश्री जी के मंगलपाठ के साथ अहिंसा रैली निकाली गई, जो बीदासर के मुख्य मार्गों से होते हुए पुनः समाधि केंद्र में पहुँचकर सभा में परिवर्तित हो गई। साध्वी रचनाश्री जी ने कहा कि अहं से अर्हं की ओर, भोग से योग, प्रदर्शन से दर्शन, चिंता से चिंतन, वासना से उपासना, कोलाहल से मौन, तनाव से संतुलन की प्रेरणा देता है यह महावीर का उत्सव। भगवान महावीर ने आत्मिक यंत्र, तंत्र और मंत्र का अवदान दिया। साध्वी संघप्रभा जी ने बताया कि भगवान का संपूर्ण जीवन ही प्रेरणा है। आत्म विकास चाहने वाला व्यक्ति भगवान की तरह स्वयं पुरुषार्थ करे। शासनश्री साध्वी अमितप्रभा जी ने कहा कि धर्म क्या है? समता ही धर्म है। समता को जीवन में उतारें, यही इस दिवस को मनाने की सार्थकता है। साध्वी विमलप्रभा जी ने गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी लब्धियशा जी ने सम, शम और श्रम के पुजारी श्रमण महावीर के प्रति अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत को स्वर दिया। कन्या मंडल और सुमन सेठिया, महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुति दी। सभा की ओर से रवि सेखानी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी गीतार्थप्रभा जी ने किया।