शक्ति का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

शक्ति का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं: आचार्यश्री महाश्रमण

पर्वत पाटिया, सूरत, 21 अप्रैल, 2023
वर्तमान युग के महावीर आचार्यश्री महाश्रमणजी विराट जन सैलाब के साथ पर्वत पाटिया के तेरापंथ भवन में पधारे। जहाँ हजारों की संख्या में श्रावक समाज पलक पावड़ा बिछाए पूज्यप्रवर के दर्शन करने को उत्सुक हो रहा था। मानो सागर में लहरों का सैलाब उठ रहा हो। मानो आज सूरत में धर्म का महासूर्य उदित हुआ हो। अध्यात्म के महासूर्य ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि जैन दर्शन में कर्मवाद का सिद्धांत है। कर्मवाद जैन दर्शन में विवेचित हुआ है। आठ कर्मों के संबंध में हमें आगम साहित्य और आगमेत्तर साहित्य में भी जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। आठ कर्मों में एक आठवाँ घाती कर्म-अंतराय कर्म है। अंतराय कर्म शक्ति को बाधित करने वाला होता है।
आदमी की शक्ति का विकास भी हो सकता है। अनेक प्रकार के बल होते हैं। जन बल, धन बल, तन बल, वचन बल, मनोबल व आत्मबल आदि दुनिया में शक्ति भी होती है। शक्ति की उपासना भी नवरात्रा में की जा सकती है। शास्त्र में कहा गया कि शक्ति का गोपन मत करो। उसका बढ़िया उपयोग करो। शक्ति के बारे में तीन बातें हैंµशक्ति का अपेक्षित विकास करने का प्रयास करना चाहिए। शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए।
शक्तिशाली बनकर आत्मकल्याण, पर-कल्याण का काम करना चाहिए। दूसरों को आध्यात्मिक शांति पहुँचानी चाहिए। दूसरों का अहित नहीं करना चाहिए। शक्ति दुर्जन और सज्जन दोनों के पास भी हो सकती है। दुर्जन जो दुर्मना होता है, वह अपनी शक्ति से दूसरों को पीड़ित कर सकता है। जबकि सज्जन-साधु की शक्ति दूसरों को त्राण देने में, दूसरों की रक्षा करने में प्रयुक्त हो सकती है। हमारी आत्मशक्ति -मनोबल अच्छा रहे। हमारे जीवन में शारीरिक स्वस्थता, चित्त की प्रसन्नता और मनोबल का भी महत्त्व है। ये चीजें जीवन में हैं तो मानना चाहिए कि किंचित कुछ जीवन में है। साधु त्यागमूर्ति होते हैं। त्याग से शांति प्राप्त हो सकती है। त्याग-संयम से आत्मशक्ति का विकास हो सकेगा, ऐसा प्रतीत हो रहा है।
भगवान महावीर जैसे महापुरुष दुनिया में हुए हैं। आध्यात्मिक जगत में उनसे बड़ा कोई आदमी हो सकता है क्या? तीर्थंकर अनंत शक्ति संपन्न होते हैं। हमारे में भी आत्म-शक्ति का विकास हो। आचार्य भिक्षु में बहुत आत्मबल था। प्रतिकूलता में भी अनुकूल रहे थे। किस तरह घटना का रूप बदल देते थे। आत्मशक्ति है तो फिर गुस्सा नहीं आना चाहिए। आदमी की सकारात्मक शक्ति बढ़ेगी तो नकारात्मक शक्ति मंद पड़ जाएगी। जितने कषाय मंद पड़ेंगे उतना आत्मशक्ति का विकास हो सकेगा।
अणुव्रत भी भीतर की शक्ति को पुष्ट करने का प्रयास है, कारण अणुव्रत में संयम का बल है। प्रेक्षाध्यान व अध्यात्म शक्ति प्रयोग हमारी आत्मशक्ति को उजागर करने में, विकसित और पुष्ट करने में सहायक बन सकते हैं। वीतरागता पुष्ट हो सकती है। चरित्रात्माएँ तो परिषह सहन करते हुए विकास के सोपान पर चढ़ते रहते हैं। समता से सहन करना आत्मशुद्धि की ओर आगे बढ़ाना होता है।
आज सूरत में पर्वत पाटिया आना हुआ है। साध्वी हिमश्रीजी का चातुर्मास यहाँ कह रखा है। आज पहले दिन का प्रवास है। पर्वत पाटिया में खूब धर्म जागरणा बनी रहे। हम सबमें आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता रहे, जब तक पराकाष्ठा को प्राप्त न हो जाए। आज साध्वियों के दो सिंघाड़े यहाँ मिल गए हैंµसाध्वी त्रिशला कुमारी जी एवं साध्वी सम्यक्प्रभा जी। साध्वी सम्यक्प्रभा जी मुनि विनोद कुमार जी की बहन हैं। मुनि विनोद कुमार जी और हम बचपन में साथ रहे हैं। साध्वियाँ खूब विकास करती रहें।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि परमपूज्य का लक्ष्य था छापर से मुंबई तक प्रस्थान करना। चार पड़ाव हुएµबायतु, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई। छापर से अब तक लगभग 1500 किलोमीटर की यात्रा हो चुकी है। आचार्यप्रवर ने यात्राओं के साथ मिशन भी बनाया हुआ है। आपश्री में करुणा व परमार्थ की चेतना है। जैसे वृक्ष तप को सहन कर भी छाया प्रदान करवाता है, वैसे ही आप कष्टों को सहन कर हर आने वाले व्यक्ति को शीतलता, शांति प्रदान करवाते हैं। धर्म समाधि देने का प्रयत्न करते हैं।
साध्वी त्रिशला कुमारी जी के सिंघाड़े ने गीत से पूज्यप्रवर का स्वागत किया। साध्वी त्रिशला कुमारी जी एवं साध्वी सम्यक्प्रभा जी ने अपनी भावना श्रीचरणों में अभिव्यक्त की।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष गौतम ढेलड़िया, तेयुप अध्यक्ष प्रवीण सुराणा, महिला मंडल अध्यक्षा ललिता पारख, कुलदीप कोठारी उपस्थित थे। तेरापंथ महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। तेयुप ने गीत द्वारा अपनी भावना अभिव्यक्त की। ज्ञानशाला एवं कन्या मंडल की प्रस्तुति भी हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।