जय महाश्रमण की जय हो
जय महाश्रमण की जय हो।
प्रबल पुण्य के महापुंज की पल-पल मंगलमय हो।
जय महाश्रमण की जय हो।
श्रमनिष्ठा के शिखर पुरुष की पग-पग परम विजय हो।।
दीक्षा का कल्याण महोत्सव, वर्षारंभ शुभंकर।
गुर्जर-महाराष्ट्र धरती को, मिला विरलतम अवसर।
कलियुग में अमृत घन बरसे, बन सतयुगी समय हो।।
पंच दशक के प्रगति पंथ को कैसे मापे भगवन?
है अथाह, अकूत, अमाप्य, विकास पुरुष का जीवन।
जन गण मन गाये यश गाथा, भावाविल तन्मय हो।।
युग प्रधान, युग प्रहरी, युग चिंतन के परम प्रचेता।
युगाधार, युगवाही, युग की नस-नस के अध्येता।
इंद्रियजेता, आत्मविजेता शांत सुधा आलय हो।।
संघ समूचा, आनंदित प्रमुदित पा स्वर्णिम अवसर।
युग-युग तपो धरा पर भास्वर दिव्य दिवाकर गुरुवर।
सागर सम गंभीर-धीर, शीतलकर आभामय हो।।