पूज्यप्रवर की दीक्षा गोल्डन जुबली पर हार्दिक कामना
गुरु दीक्षा की गोल्डन जुबली, जन मन हर्ष अपार।
दिग्दिगंत में महाश्रमण की, हो रही जय-जयकार।
हो रही जय-जयकार, संघ का भाग्य सवाया।
तुलसी महाप्रज्ञ द्वारा, गण नायक पाया।
झूमर नेमा नंदन को है, वंदन बारंबार।
गुरु दीक्षा की गोल्डन जुबली जन मन हर्ष अपार।।
रहें निरामय कदम कदम जय हैं हार्दिक उद्गार।
स्थानक में उत्सव अवसर पर तीर्थ हुए हैं चार।
तीर्थ हुवे हैं चार झूम झूम गुरु गरिमा गाते।
सादर सविनय भक्तिपूर्वक शीश नमाते।
ऐसा आशीर्वाद हमें दें, करें स्व-पर उपकार।
रहें निरामय कदम-कदम जय हैं हार्दिक उद्गार।।
धीर वीर गंभीर सुगुरु पा होता सात्त्विक नाज।
युगों-युगों नेतृत्व मिले यह अंतर मन आवाज।
यह अंतर मन आवाज दे रहे आज बधाई।
चढ़ती बढ़ती रहे नित्य प्रतिपल पुण्याई।
कितने कीर्तिमान बनाए तेरापंथ के ताज।
कीर्तिमान पर कीर्तिमान सुन पुलकित सकल समाज।
धीर वीर गंभीर सुगुरु पा होता सात्त्विक नाज।।