सांझ का ढलता सूर्य है - बुढ़ापा
उज्जैन
साध्वी कीर्तिलता जी के सान्निध्य में दादा-दादी, नाना-नानी का विशेष कार्यक्रम रखा। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय गीत से हुआ। उससे पूर्व तेयुप द्वारा राष्ट्रीय ध्वजारोहण का कार्यक्रम संपादित हुआ। साध्वी कीर्तिलता जी ने कहा कि बुढ़ापा बिना बुलाए मेहमान है। यह सांझ का ढलता हुआ सूर्य है। सूर्य ढलने से पूर्व अध्यात्म का छोटा सा दीप जला दो। वह दीप आपके जीवन को प्रकाशमान कर देगा।
साध्वी शांतिलता जी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। साध्वी पूनमप्रभा जी ने गीत का संगान किया। साध्वी श्रेष्ठप्रभा जी ने सबको ध्यान के द्वारा भीतर झांकने की प्रेरणा दी। साध्वीश्री जी के सान्निध्य में अभिनव सामायिक का कार्यक्रम हुआ, जिसमें लगभग 90 सामायिक हुई। मधुबाला बोरदिया ने 16 की तपस्या की।