आचार्यश्री महाश्रमण जी का जन्म तेरापंथ की नई संभावनाओं का जन्म

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आचार्यश्री महाश्रमण जी का जन्म तेरापंथ की नई संभावनाओं का जन्म

अणुविभा, जयपुर।
शासन गौरव बहुश्रुत साध्वी कनकश्री जी व शासनश्री साध्वी मधुरेखा जी आदि 11 साध्वियों के सान्निध्य में 11वें आचार्यश्री महाश्रमण जी का 62वाँ जन्मोत्सव आध्यात्मिक उल्लास व उमंग के साथ तेरापंथी सभा, जयपुर के तत्त्वावधान में मनाया गया। सौरभ जैन द्वारा महाश्रमण अष्टकम् के संगान से कार्यक्रम शुरू हुआ। शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने दुगड़ कुल अवतंस बालक मोहन के जन्म को तेरापंथ की नई संभावनाओं का जन्म एवं जिनशासन के उज्ज्वल भविष्य का संकेत बताते हुए कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण प्रारंभ से ही उदितोदित व्यक्तित्व संपन्न थे। विवेकसंपन्न, बुद्धिमान और विनयशील बालक मोहन के भीतर छिपी योग्यता को मुनि सुमेरमलजी स्वामी ने परखा। उसे निखारने का प्रयास किया और वही बालक मुनि मुदित, महाश्रमण मुदित तथा आचार्य महाश्रमण के रूप में अपने कर्तृत्व से सबको मुग्ध कर रहा है।
शासनश्री साध्वी मधुरेखाजी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जैसे महापुरुषों का अवतरण होना धरती का सौभाग्य है। आचार्यप्रवर अपने व्यक्तित्व, कर्तृत्व व नेतृत्व से धर्मसंघ को अमूल्य अवदान प्रदान कर रहे हैं। जिनशासन की महिमा शिखरों पर चढ़ा रहे हैं। साध्वी मधुलता जी ने गुरुदेव के जन्म और शैशव के रोचक संस्मरण प्रस्तुत कर परिषद् को भावविभोर कर दिया। साध्वीवृंद द्वारा समवेत स्वर में प्रस्तुत अभ्यर्थना गीत काफी सरस व प्रभावपूर्ण रहा। साध्वी लोकोत्तरप्रभा जी व साध्वी संस्कृतिप्रभा जी ने कविता व वक्तव्य के द्वारा आस्थासिक्त भाव प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन सुरेश बरड़िया ने किया।