जलती चिराग का वर्धापन

जलती चिराग का वर्धापन

साध्वी प्रमुखा पद प्रवर,

मनोनयन दिन आज।
आया नई बहार ले,
खुशियाँ बे अंदाज।।

शुक्लपक्ष बैशाख का,
चतुर्दशी दिन खास।
निज दीक्षोत्सव पर रचा
विभु ने नव इतिहास।।

दीक्षा दिवस पचासवाँ,
प्रभुवर का यह साल।
ऐसी हो आयोजना,
जग में बने मिशाल।।

प्रगति शिखर चढ़ते रहो,
गण गुलशन गुलजार।
झेलो विपुल बधाइयाँ,
‘संघमित्रा’ उद्गार।।