आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का जीवन ज्ञान और साधना से संपन्न था

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का जीवन ज्ञान और साधना से संपन्न था

आकोला।
आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने तेरापंथ के दसवें आचार्य के रूप में तेरापंथ शासन को अपनी सेवाएँ दी। जैन आगमों के संपादन के माध्यम से उन्होंने जैन शासन की सेवा की। अहिंसा यात्रा, प्रेक्षाध्यान एवं जीवन विज्ञान के माध्यम से उन्होंने मानव जाति की सेवा की। उक्त विचार तेरापंथ भवन में साध्वी परमप्रभा जी ने व्यक्त किए। साध्वीश्री जी ने कहा कि मात्र 10 वर्ष की अवस्था में दीक्षित होकर आचार्य तुलसी की पाठशाला में शिक्षित होकर आप एक अध्यात्म सिद्ध संत उच्च कोटि के दार्शनिक प्रबुद्ध चिंतक, मनीषी, साहित्यकार और अहिंसा के पथ के महापथिक बने।
तेरापंथ भवन में आयोजित इस महाप्रयाण दिवस के कार्यक्रम का मंगलाचरण बंसीलाल मेहता ने गीतिका के माध्यम से किया। साध्वी श्रेयसप्रभा जी ने गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वी विनीतप्रभा जी ने कार्यक्रम के दौरान महाप्रज्ञ जी के जीवन के संस्मरणों से धर्मसभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। साध्वी प्रेक्षाप्रभा जी ने गीतों के माध्यम से गुरुदेव के जीवन का चित्रण किया। धर्मसभा में महिला मंडल अध्यक्ष संगीता चपलोत, मंत्री आशा मेहता, ज्ञानशाला संयोजिका पूजा चपलोत, सीमा चपलोत, संजय मेहता, अभिरुचि चपलोत एवं स्थानीय पूरे महिला मंडल ने गीतों के माध्यम से गुरुदेव को काव्यांजलि अर्पित की। तेरापंथ सभा के मंत्री नरेंद्र चपलोत ने आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दौरान वर्ष-भर में ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पारितोषिक प्रदान किए। पारितोषिक पूरनमल चपलोत की ओर से प्रदान किए गए। स्थानीय प्रशिक्षिका संगीता एवं पूजा चपलोत जिन्होंने प्रशिक्षिका का पूरा प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है, उन्होंने महासभा द्वारा भेजे गए प्रशस्ति-पत्र एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन रेखा चपलोत ने किया।