आत्मानुशासन से जीवन को सफल बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण
पलसाना, सूरत 6 मई, 2023
परम पावन आचार्यश्री महाश्रमण जी सचिन से विहार कर धवल सेना के साथ पलसाना के एस0डी0जे0 स्कूल में प्रवास हेतु पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए परमपूज्य ने फरमाया कि हर आदमी सुखी जीवन जीना चाहता है। हर प्राणी सुखी रहना चाहता है। प्रश्न होता है कि यहाँ भी सुखी और आगे भी सुखी कैसे रहें। शास्त्र में कहा गया है कि आत्मा का दमन करना चाहिए। पर आत्मा का दमन करना मुश्किल काम होता है। आत्मा का दमन करने से परम सुख प्राप्त हो सकता है। जीवन में सुख-सुविधा साधनों से मिल सकती है, परंतु भीतर की परम शांति साधना से प्राप्त हो सकती है। बाहर की दुनिया में सुखी रहने वाला व्यक्ति भीतर में अशांत रह सकता है। दुखी और चिंतित हो सकता है। भीतर शांति पदार्थों से नहीं मिल सकती, उनमें ये शक्ति नहीं होती है। शक्ति तो अध्यात्म की साधना में होती है। स्वयं का अभिविग्रह करने से दुःख से मुक्ति मिल सकती है। भगवान ने फरमाया है कि प्राणी दुःख से डरता है। इस दुःख को जीव ने ही अपने प्रमाद से पैदा किया है। दुःख से छुटकारा पाने का उपाय है-आत्म दमन व आत्मानुशासन।
राष्ट्र में लोकतंत्र हो या राजतंत्र अनुशासन जरूरी है। कर्तव्य और अनुशासन के बिना लोकतंत्र का देवता मृत्यु और विनाश को प्राप्त हो जाएगा। निज पर शासन, फिर अनुशासन। जो अच्छा शिष्य नहीं बन सकता वो अच्छा गुरु भी नहीं बन सकता। सम्मान दें, सम्मान लें। आत्मानुशासन अध्यात्म के क्षेत्र के अलावा समाज और राजतंत्र में भी महत्त्वपूर्ण है। मतभेद होना बुरी बात नहीं है, पर वह असौहार्द का कारण न बने। धर्म मुख्य है, संप्रदाय गौण है। राष्ट्र ऊपर है, पार्टी गौण है। समाज बड़ा है, व्यक्ति गौण है। दूसरों पर अनुशासन करने से पहले खुद पर अनुशासन करना सीख लें तो दूसरों पर अनुशासन करने में सफल हो सकते हैं।
आज पलसाना के इस विद्या संस्थान में आए हैं। पाँचों भाई धार्मिक कार्य करते रहें। पलसाना में भी धार्मिक साधना चलती रहे। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष कैलाश चपलोत, स्कूल के चेयरमैन कैलाश जैन तथा स्कूल प्रिंसिपल शालिनी ओझा ने अपने भाव व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल ने गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों एवं तेरापंथ कन्या मंडल ने अपनी भावनाएँ व्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा स्कूल परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।