आचार्यश्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव, पदाभिषेक एवं दीक्षा दिवस के आयोजन
अणुविभा, जयपुर
बहुश्रुत शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी व शासनश्री साध्वी मधुरेखा जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा, जयपुर के तत्त्वावधान में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का 14वाँ आचार्य पदाभिषेक समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। युवा गायक संदीप भंडारी ने मंगल संगान किया। शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी महान लब्धिधर, शक्तिधर व ज्योतिर्धर आचार्य हैं, ज्योतिपुंज हैं। उनकी एक-एक ज्योति किरण अंतस् के तमस् को प्रक्षालित कर देती है। बचपन से लेकर युगप्रधान आचार्य तक की यशस्वी यात्रा के विभिन्न पड़ावों को सरस शैली में प्रस्तुत करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा कि आचार्यप्रवर का व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व विलक्षण है, निरूपम है। गुरुदेव के जीवन से संबंधित अनेक रोचक प्रसंगों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा आचार्यप्रवर अपने सिद्धांतों व नियमों में जितने दृढ़ हैं, उतने ही करुणाशील हैं।
शासनश्री साध्वी मधुरेखा जी ने कहा कि महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी वात्सल्य के हिमालय हैं। आपका प्रभावक आभामंडल व प्रखर उद्बोधन बिना निमंत्रण लोगों की भीड़ आकर्षित कर लेता है। हम सबका परम सौभाग्य है कि ऐसी महान अध्यात्म विभूति, संत शिरोमणि हमें शास्ता के रूप में, भाग्यविधाता के रूप में प्राप्त है।
शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी द्वारा रचित गीतिका का साध्वीवृंद ने सामूहिक संगान किया। साध्वी मधुलेखा जी व साध्वी समितिप्रभा जी ने वक्तव्य व कविता के माध्यम से श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। पूर्व अध्यक्ष नरेश मेहता, मंत्री सुरेंद्र सेखनी व सौरभ जैन ने भी भावांजलि अर्पित की। महिला मंडल की बहनों ने सामूहिक गीतिका द्वारा आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। कार्यक्रम का संयोजन सुरेश बरड़िया ने किया।