आचार्यश्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव, पदाभिषेक एवं दीक्षा दिवस के आयोजन
छापर
भिक्षु साधना केंद्र में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का 14वाँ पदाभिषेक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि वैशाख का महीना बड़ा भाग्यशाली है। एक ही महापुरुष के तीन महोत्सव इस माह के शुक्ल पक्ष में आते हैं। वि0सं0 2019 के इस वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन सरदारशहर की पुण्य धरा पर हमारी आस्था के केंद्र आचार्य महाश्रमण जी ने एक शिशु के रूप में जन्म लिया, वि0सं0 2031 की इसी मास और पक्ष की चतुर्दशी के दिन 12 वर्ष की वय में उन्होंने समय पथ स्वीकार किया और वि0सं0 2067 में शुक्ला दशमी के दिन उन्होंने आचार्य पद पर आरोहण किया था। कहना चाहिए, दुगड़ कुल में एक बीज का वपन हुआ, वह कुछ ही अवधि में पौधा बन गया और देखते-देखते उसने कल्पवृक्ष का रूप ले लिया। वह एक ऐसा कल्पवृक्ष है जिसकी शीतल छाया में न केवल तेरापंथ धर्मसंघ बल्कि पूरी मानव जाति शीतलता का अनुभव कर रही है।
पूज्यप्रवर का जीवन गतिशीलता और श्रमशीलता की जीवंत कहानी है। रुकना और थकना ये दो शब्द उनकी जीवन पोथी में कहीं नहीं हैं। सात वर्ष लंबी यात्रा करने के बाद एक नई यात्रा पर उन्होंने अपने कदमों को बढ़ा दिया। उनके जन्म दिवस, पदाभिषेक दिवस और दीक्षा के 50वें वर्ष पर हम उनके दीर्घकाल तक नेतृत्व की मंगलकामना करते हैं। शासनश्री ने इस अवसर पर भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण से हुआ। मुनि हेमराज जी, मुनि आत्मानंद जी ने अपनी मंगलभावना प्रस्तुत की। रेखाराम गोदारा, मास्टर हुक्माराम, सूरजमल नाहटा, हुलासमल चोरड़िया, गजराज जैन, सरोज देवी, शोभा, हेमा, सज्जन, छाया ने अपने आराध्य की भक्ति में भाषण, गीत, मुक्तक प्रस्तुत किए।