साध्वीप्रमुखा गण की शान

साध्वीप्रमुखा गण की शान

साध्वीप्रमुखा गण की शान
नव प्रभात की नवोदित किरणें उगा स्वर्ण विहान।।

सरदारशहर की पुण्य धरा पर।
गुरु महाश्रमण ने मनोनयन कर।
विश्रुतविभाजी नाम सुनाया।
खुशियों का सागर लहराया।
नाच उठा अवनि का कण-कण छाया हर्ष महान।।

सेवा ज्ञान विनय समर्पण।
गुरु इंगित में सब कुछ अर्पण।
प्रखर प्रतिभा विरल विलक्षण।
चिंतन में चातुर्य विचक्षण।
पठन-पाठन ध्यान साधना में सतत् गतिमान।।

नियमित संयमित जीवन शैली।
समय प्रबंधन कला निराली।
फौलादी संकल्प तुम्हारा।
श्रमणी गण की करे रुखाली।
वर्धापन अभिवादन करते गाएँ मधुमय गान।
सौ-सौ साधुवाद देती हैं गाएँ तब गुण गान।।

लय: कितना बदल गया इंसान---