मुनि महेंद्र कुमार जी के प्रति उद्गार

मुनि महेंद्र कुमार जी के प्रति उद्गार

सुख-सौभाग्य खिला, संयम, श्रतु के द्वारा।
चिन्मय दीप जला संत महेंद्र तुम्हारा।।

सहज नम्रता मृदुता मनहर, वर-व्यवहार कुशलता।
अनुशासित, शालीन निहारी बहुमुखीय विद्वत्ता।।

आगम संपादन से जोड़ा तुमने गहरा नाता।
जो जिज्ञासु सम्मुख आता, अपना उत्तर पाता।।

प्रोफेसर प्रेक्षा प्राध्यापक आगमज्ञ अवधानी।
बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, बहुभाषी-व्याख्यानी।।

सहयोगी संतों ने पाया सेवा का शुभ अवसर।
बहुश्रुतज्ञ पथ पर बढ़ पाए, उनसे ज्ञानार्जन कर।।

तुलसी-महाप्रज्ञ के हाथों, नवनिर्माण तुम्हारा।
महाश्रमण द्वारा सम्मानित, गण ने तुम्हें निहारा।।