मुनि महेंद्र कुमार जी की स्मृति सभा के आयोजन

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मुनि महेंद्र कुमार जी की स्मृति सभा के आयोजन

रोहिणी, दिल्ली
आगम मनीषी मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का देवलोकगमन सुनकर अच्छा नहीं लगा। क्योंकि वे तेरापंथ धर्मसंघ की संत-परंपरा में विशिष्ट थे। उनका समर्पण, उनकी विनम्रता हर किसी को अभिभूत कर देती थी। तीन-तीन गुरुओं का स्नेहिल वरदहस्त एवं कृपादृष्टि प्राप्त करने वाले मुनिश्री का जन्म मोहमाया नगरी मुंबई में हुआ। उस चकाचौंध रूप संसार के जंगल में आप भटके नहीं, बल्कि आत्म-मंगल करने हेतु तेरापंथ धर्मसंघ में नवमाधिशास्ता गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी से संयम जीवन स्वीकार कर आत्म साधना में प्रवृत्त हुए, जिसे उस समय की यूनिक घटना कहा जा सकता है।
संभवतः अंग्रेजी भाषा बोलने वाले वह संघ के प्रथम संत थे। इस भाषा के जरिए संघ प्रभावना में आप निमित्त बने, यह धर्मसंघ का सौभाग्य था। आत्मसाधना एवं गुरु इंगित की आराधना का लक्ष्य बनाकर आप सदा गतिमान रहे कभी रुके नहीं। ज्ञान की गंभीरता, मधुरभाषिता, मिलनसारिता, निस्पृहता, अप्रमत्तता और निरहंकारिता जैसे उन्नत गुणों का समवाय आपके जीवन की निजी पहचान बनी, जिसे दुर्लभतम कहा जा सकता है। आज मुनिश्री हमारे बीच नहीं रहे, फिर भी उनका निश्छल व्यवहार, सरलभाषिता हर किसी के दिल में अवश्य अंकित रहेगी। उनके कार्य, उनके द्वारा प्रदत्त संदेश और उनकी श्रमशीलता हर किसी को प्रेरणा देती रहेगी। मुनिश्री के आध्यात्मिक जीवन के प्रति शुभकामना, मंगलभावना।