भगवान महावीर जयंती के विविध आयोजन

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भगवान महावीर जयंती के विविध आयोजन

कांकरोली, राजसमंद
भगवान महावीर का 2622वाँ जन्म कल्याणक महोत्सव श्रद्धा, भक्ति और अनुरक्ति के साथ सामुहिक रूप से मनाया गया। प्रातःकाल शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्टेशन रोड, मुखर्जी चौराहा, रेता मोहल्ला, जे0के0 से होती हुई प्रज्ञा विहार तेरापंथ भवन में तब्दील हो गई। कार्यक्रम मुनि संजय कुमार जी, मुनि प्रकाश कुमार जी, मुनि धैर्य कुमार जी, मुनि सिद्धप्रज्ञ जी व दिगंबर परंपरा के आचार्य नयनसागर जी तथा स्थानकवासी संप्रदाय से मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में मनाया गया। मुनि संजय कुमार जी ने कहा कि अहिंसा सूत्र व्यवहार में दिखाई देना चाहिए। करुणा, दया का एक सूत्र आत्मसात हो जाए तो आपसी लड़ाई-झगड़े, प्राणी मात्र के प्रति अन्याय नहीं होगा। दिगंबर आचार्य नयन सागर जी ने कहा कि महावीर के सिद्धांत को मानने वाले के लिए व्यापार में हिंसा हो भी सकती है पर वह हिंसा का व्यापार नहीं कर सकता।
मुनि प्रसन्न कुमार जी ने संप्रदाय से ऊपर मानव धर्म बताया। स्थानकवासी समाज के रमेश कुमार जी ने कहा कि सत्य, अहिंसा, अस्तेय व अपरिग्रह के सिद्धांत को सबको मनाना चाहिए। भगवान महावीर के बताए रास्ते पर चलेंगे तो कभी दुखी नहीं होंगे। तेरापंथ समाज से मुनि प्रकाशजी ने नमस्कार मंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा रचित गीत का संगान किया। मुनि धैर्य कुमार जी ने कहा कि हमें केवल कार्यक्रम में लाभ लेना और भोजन करके चले जाना यहाँ तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। कोई-न-कोई त्याग संकल्प भी करना चाहिए। जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने अपरिग्रह के सिद्धांत पर प्रकाश डाला और कहा कि ज्यादा संग्रह करने से दुनिया में दुःख बढ़ता है। जीओ और जीने दो का सिद्धांत अपने आपमें सुखी जीने का नियम है।
चार संप्रदाय की महिला मंडलों ने सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी। कन्या मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों ने महावीर जीवन झाँकी शब्द चित्र एवं परिसंवाद प्रस्तुत किया। सूरज रातड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में 80 वर्ष से ऊपर के वृद्धजनों का महावीर मंच की ओर से प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो देकर सम्मान किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभा के अध्यक्ष प्रकाश सोमी ने स्वागत विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संयोजन विनोद बड़ाला व सूरज जैन ने किया। महामंत्री पारस चंद जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर आसपास के अनेक क्षेत्रों से कुल मिलाकर 2000 से अधिक श्रद्धालुजन उपस्थित थे।