मनुष्य अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखे: आचार्यश्री महाश्रमण
सिटीलाइट, सूरत, 3 मई, 2023
जन-जन को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करने वाले आचार्यश्री महाश्रमण जी ने सिटीलाइट तेरापंथ भवन में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए फरमाया कि आदमी के भीतर विभिन्न संदर्भों से जुड़ी हुई हो सकती है। भौतिक, अभौतिक या अलौकिक इच्छा भी आदमी में हो सकती है। अनेक इच्छाएँ नीचे से ऊँचे स्तर की हो सकती है। यों इच्छा में परिष्कार और उज्ज्वलता भी आ सकती है। क्रमशः ये छः लेश्या के परिणाम हैं। भौतिक जगत में रहने वाला आदमी भौतिक इच्छाओं से घिरा हो सकता है। इच्छाएँ आकाश के समान अनंत होती है। जैसे आकाश की सीमा का कोई अंत नहीं होता। वैसे ही मनुष्य की इच्छाएँ भी अनंत होती हैं। इनका भी कोई अंत नहीं। एक इच्छा पूरी होने के साथ ही दूसरी इच्छा जन्म ले लेती है। मनुष्य के दुःख का कारण भी इच्छाएँ होती हैं। इसलिए इच्छाओं पर नियंत्रण जरूरी है।
साधु का जीवन तो अपरिग्रही होता है। श्रावक भी अपने व्यक्तिगत जीवन में इच्छाओं का परिमाण और भोगोपभोग का परिमाण करे। त्याग-संयम की साधना से आत्मा निर्मल रह सकती है। साधु और श्रावक का पद हमारा सुरक्षित रहे। हम जैन शासन में साधना कर रहे हैं, जहाँ त्याग-संयम, तप का महत्त्व है। हमारे धर्मसंघ में अनेक संस्थाएँ हैं, जो धार्मिक गतिविधियों से भी जुड़ी हुई हैं। आज हम उस तेरापंथ भवन में आए हैं, जहाँ आचार्य महाप्रज्ञ जी ने सन् 2003 का चतुर्मास किया था। यहाँ धर्म गुरुओं की सभा भी हुई थी। यहाँ भी धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियाँ खूब अच्छी चलती रहें। सूरत में धार्मिक जागरणा होती रहे, मंगलकामना।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि भारतीय परंपरा में जीवन मूल्यों को महत्त्व दिया गया है। वस्तु या पदार्थ को नहीं। इस परंपरा में साधुओं का महत्त्व है। भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति है। यहाँ अध्यात्म के मूल्य का अंकन किया जा रहा है। आचार्यप्रवर जहाँ पधारते हैं, लोगों की भीड़ वहाँ पहुँच जाती है। आचार्यप्रवर को सुनने के लिए आतुर रहते हैं। आचार्यप्रवर का आभामंडल अलौकिक, असाधारण और शांत रस के परमाणुओं से बना आभामंडल है।
यहाँ सिटीलाइट भवन में पिछला चातुर्मास करने वाले मुनि उदित कुमार जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की एवं अभिवादन-स्वागत किया। मुनि अनंत कुमार जी ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर के दर्शन करने पहुँचे जीतो ऐपेक्स के चेयरमैन सुखलाल नाहर, जेटीएफ के चेयरमैन विनोद दुगड़ एवं अनिल बोथरा ने अपनी भावनाएँ व्यक्त की। कन्या मंडल व ज्ञानशाला की ओर से भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।