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सही सोच व सदाचरण से जीवन का कल्याण करें: आचार्यश्री महाश्रमण
वलसाड़, गुजरात 15 मई, 2023
जिनशासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ वलसाड़ पधारे। शांतिदूत ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में साधुओं की पर्युपासना का अपना महत्त्व है। सत्यमेव का महत्त्व है। कारण साधु के पास ज्ञान चेतना है, निर्मलता है। सलक्ष्य निर्मलता के पास रहने से पास रहने वाले में कुछ निर्मलता का संचार हो सकता है। साधु तो तीर्थ के समान होते हैं। तीर्थंकर तो तीर्थ की स्थापना करने वाले एवं प्रवचन करने वाले होते हैं। जैन धर्म में चार तीर्थ बताए गए हैं-साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका। तीर्थंकर तो स्वयं तारण-तरण होते हैं।
शास्त्र में साधु की पर्युपासना करने के दस लाभ बताए गए हैं। साधु तो त्याग मूर्ति होते हैं। उनका मुख देखने मात्र से पाप झड़ सकते हैं। साधु से सत्संग श्रवण को मिलता है। सुनकर हम ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। ज्ञान से विज्ञान-विशेष ज्ञान प्राप्त होता है। हेय-गेय-उपादेय को जानकर हेय का प्रत्याख्यान करता है। प्रत्याख्यान से संयम, संयम से संवर, तप, कर्म निर्जरा और योग निरोध की स्थिति पाकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। संतो की संगत ओर प्रभु की वाणी सुन लेना अच्छी बात हो सकती है। भगवद् वाणी श्रवण अच्छा है। साधु हमेशा न मिले तो सज्जनों-अच्छे लोगों की संगति करना चाहिए। धार्मिक साहित्य पढ़ने से सत्-साहित्य की संगत हो जाती है। अच्छा बोलें, अच्छा सुनें, अच्छा देखें और अच्छा ही सोचें तो हमारी चेतना अच्छी हो सकती है। हमारे भीतर अच्छी चीजें जानी चाहिए।
मन में मंगलभावना रखें। भारत में संत लोग साधना करने वाले हैं। धरती पर ऋषियों का होना अच्छी बात है। संतों के चरण धरती पर पड़ते हैं तो धरती धन्य हो जाती है। संतों के प्रवचन से अच्छी बात सुन सकते हैं। संतों की वाणी, गुरु वाणी कल्याणी है, उसका श्रवण किया जाए। फिर जीवन में, आचरण में लाने का प्रयास हो। जैसे कीचड़ में पड़े हीरे को भी आदमी उठा लेता है, तो सच्ची-अच्छी बात कहीं से मिले ग्रहण कर लेनी चाहिए। बलसाड़ में खूब धार्मिक भावना रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि व्यक्ति हर समस्या का जिम्मेदार बनता है। टेक्नोलॉजी युग ने आदमी को समस्या से भर दिया है। इन सब समस्याओं से आदमी सम्यक् ज्ञान और दर्शन से समाधान ढूँढ़ लेता है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में सरस्वती इंटर नेशनल स्कूल के चेयरमैन गिरीश पंड्या, तेरापंथ महिला मंडल, तेयुप अध्यक्ष आनंद दक, स्थानीय सभाध्यक्ष श्रीचंद बोल्या, स्थानकवासी समाज से प्रदीप कोठारी ने अपने अपनी-अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। तेरापंथ समाज द्वारा समूह गीत प्रस्तुत किया गया। कन्या मंडल द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला द्वारा छः द्रव्यों पर सुंदर प्रस्तुति हुई। व्यवस्था समिति एवं अणुव्रत समिति द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।