जीवन में समस्याओं से घबराएँ नहीं: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में समस्याओं से घबराएँ नहीं: आचार्यश्री महाश्रमण

डुंगरी, गुजरात 14 मई, 2023
मर्यादा पुरुषोत्तम आचार्यश्री महाश्रमण जी अपनी अणुव्रत यात्रा के साथ डुंगरी पधारे। परम पावन आचार्यश्री ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में दुःख भी है। जन्म, बुढ़ापा, रोग और मृत्यु दुःख है। पुण्य कर्म के योग से दुनिया में भौतिक अनुकूल संवेदन प्राप्त हो जाते हैं। पाप कर्म के योग से भौतिक दुःख और भीतर के दुःख भी मिल सकते हैं। आठ कर्मों में पाप तो सारे ही हैं, पर उनमें चार पुण्य भी होते हैं। घाती कर्म चारों पाप हैं, आत्म गुणों को नष्ट करने वाले हैं। शेष चार कर्म अघाती कर्म हैं, जो भौतिक सुख-दुःख से संबंधित होते हैं। ये चार कर्म मूल आत्म-गुणों की घात करने वाले नहीं हैं। गृहस्थ जीवन में अनेक बाह्य दुःख व समस्याएँ आ जाती हैं। अर्थ का अभाव भी एक समस्या है, तो अर्थ का प्रभाव भी समस्या बन सकती है।
प्राणी दुखों से भय खाते हैं। दुःख से मुक्त होने के लिए अपने आसपास निग्रह संयम करो। समस्या और दुःख एक नहीं है। बाहर की समस्या होने पर भी आदमी की तपस्या ठीक है तो समस्या अप्रभावी हो सकती है। मन में शांति रहे। आत्म-निग्रह जिसने कर लिया है तो समस्या उसके सामने आ तो सकती है, पर भीतर तक नहीं पहुँच सकती। चित्त को प्रभावित नहीं कर सकती। आत्म निग्रह रेखा लक्ष्मण रेखा हो सकती है। आत्म-निग्रह का मितावग्रह बन जाता है, तो समस्या बाहर रह सकती हैं, पर वह मितावग्रह में प्रवेश नहीं कर सकती। प्रेक्षाध्यान से हमारा आत्म-निग्रह सिद्ध हो सकता है। रहो भीतर, जीयो बाहर। जीवन में समस्याएँ आती भी हैं और चली भी जाती हैं। समता-शांति रखें।
अगर राग-द्वेष को नहीं जीता तो जंगल में जाकर क्या किया? राग-द्वेष को जीत लिया तो फिर जंगल में जाने की अपेक्षा भी क्या है? भीड़ में रहें या एकांत में, आत्म-निग्रह की साधना करें। आज डुंगरी आना हुआ है। श्रावक समाज व सभी में धर्म की चेतना रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि मनुष्य जन्म अमूल्य है, पर वह अमूल्य तब बनता है, जब आदमी मूल्यों को समझने का प्रयत्न करता है, मूल्यों को अपने जीवन में उतार लेता है। अनाग्रह भी एक मूल्य है, तो अनासक्ति भी एक मूल्य है। हम जीवन में अनासक्त को प्राप्त कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। गुरुदेव भी देह में रहकर विदेह में रहते हैं।
पूज्यप्रवर के स्वागत में सभाध्यक्ष मांगीलाल हिरण, तेयुप अध्यक्ष सिद्धार्थ भटेवरा ने अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। अणुव्रत समिति से अर्जुन मेड़तवाल ने स्कूल परिवार व स्थानीय सरपंच का सम्मान किया। समाज द्वारा समूह गीत भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।