महातपस्वी महासंत री

महातपस्वी महासंत री

जन्मोत्सव प्रभुवर रो आयो, दसू दिशावां रिुदावै।
धरती-अम्बर सागर, नदियाँ, झूम-झूम मंगल गावै।
हर्षित पुलकित मन कोयलियाऽऽऽ स्वर्णोत्सव है गुरुवर रो।
मोद मनावै संघ समूचो, कल्याण उत्सव प्रभुवर रो।
तेरापंथ अखिलेश्वर रीऽऽऽ बोलो सब मिल जय-जय-जय।।

पट्टोत्सव पर अनहद खुशियाँ, पोर-पोर रस बरसावै।
चमक रह्या दिनकर ज्यू गुरुवर संघ-गगन ने चमकावै।
घणै कोड स्यूं जन-जन थांरोऽऽऽ निरखै मुखड़ो मनहारो।
थांरी बढ़ती पुण्याई नै लखकर घालै है सब थुथकारो।
तीन लोक रे भुवनेश्वर रीऽऽऽ बोलो सब मिल जय-जय-जय।।

थांरै चरणां स्यूं ऊर्जा लेवण, भक्त री टोल्या आवै।
पग न टिकै धरती पर त्वारां जद-जद बे दरसण पावै।
लाखां लोगां री श्रद्धा भक्ति रोऽऽऽआज अनूठो रंग खिल्यो।
हुयो जी सोरो मिल्यो उजारो, भायां स्यूं ओ संघ मिल्यो।
चरणां शीश झुकावै सुरनरऽऽऽ बोलो सब मिल जय-जय-जय।।

लय: बो महाराणा प्रताप कठै---