अनंत शक्तियों का भंडार है भक्तामर

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अनंत शक्तियों का भंडार है भक्तामर

गुलाबबाग।
तपस्वी डॉ0 मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा, गुलाबबाग की आयोजना में बिहार की धरती पर प्रथम भक्तामर स्तोत्र मंत्र यंत्र महाअनुष्ठान हुआ। इस अवसर पर मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी ने कहा कि आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर अनंत शक्तियों का भंडार है। मंत्रों का खजाना है। इसका वास्तविक नाम आदिनाथ स्तोत्र है, जो भक्तामर स्तोत्र नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसमें आदिनाथ ऋषभ देव भगवान की स्तुति है। तीर्थंकरों की शक्ति अनंत और अतुलनीय होती है। उनका नाम जिस किसी भी स्तवन और मंत्र में जुड़ जाता है वह अपने आपमें प्रभावशाली बन जाता है। भक्तामर के रचयिता आचार्य मानतुंग ने अपने आराध्य से किसी प्रकार की कोई माँग नहीं रखी। श्रद्धा भक्ति के रस में सराबोर होकर अपने आराध्य आदिनाथ प्रभु ऋषभ देव की सिर्फ स्तुति की। उस भक्तिपूर्ण स्तुति से चमत्कार घटित हो गया। 48 तालों के भीतर मानतुंग को राजा ने कैद करवा दिया था, वे सारे के सारे ताले स्तुति के प्रभाव से स्वतः तड़ातड़ टूट गए। तत्कालीन राजा हर्षदेव यह चमत्कार देखकर जैनाचार्य के आगे नतमस्तक हो गया। वह भक्तामर एक कालजयी रचना बन गई। स्वास्थ्य संबंधी, व्यापार संबंधी, आपसी रिश्तों से संबंधित और नजर दोष आदि सैकड़ों समस्याओं का समाधान भक्तामर से मिल जाता है।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि प्रतिदिन भक्तामर का पाठ करने से घर का वातावरण शुद्ध बनता है। सकारात्मक ऊर्जा आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करती है। बहुत सारी समस्या अपने आप समाहित हो जाती हैं। कर्म निर्जरा के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। जीवन के लिए भक्तामर बहुत उपयोगी है। व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से इसका पाठ करना चाहिए। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी स्वयं साधक, जपाराधक हैं। आपने अनेकों बार अनुष्ठान करवाकर कितने-कितने व्यक्तियों के भीतर भक्तामर के प्रति आस्था जागृत की है। सभी के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना। तेरापंथ सभा अध्यक्ष सुशील संचेती ने बताया कि साढ़े चार घंटे से अधिक चले अनुष्ठान में चार साधकों ने आराधना की। भक्तामर स्तोत्र, ऋद्धिजाप, मंत्र जाप की आराधना हुई। आसपास के अनेक क्षेत्रों के श्रावक-श्राविका सहभागी बने। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि प्रशांत कुमार जी, मुनि कुमुद कुमार जी, मुनि विमलेश कुमार जी, मुनि सुबोध कुमार जी ने एक स्वर में आराधना करवाई। स्वागत भाषण अध्यक्ष सुशीला संचेती ने किया। कोलकाता से समागत मधु जैन, मनोज पुगलिया, अमरसिंह जैन, श्रुति चोपड़ा ने अनुष्ठान के अनुभव सुनाए। आभार सभा के मंत्री सुनील भंसाली ने व्यक्त किया।