श्रावक धर्म कार्यशाला का आयोजन
पूर्वांचल-कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में श्रावक धर्म कार्यशाला का आयोजन तेरापंथी सभा ट्रस्ट द्वारा तुलसी धाम स्थित तोदी भवन में किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जिन शासन के चार अंग हैं-साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका जो सुनता है वह श्रावक है। जो 12 व्रतों का पालन करता है वह श्रावक है। जो श्रद्धावान्, विवेक व क्रियाशील है वह श्रावक है। श्रावक चार प्रकार के होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि श्रावक अल्पारंभी व अल्पपरिग्रही होता है। श्रावक आडंबर व प्रदर्शन से दूर रहे।
मुनिश्री ने कहा कि श्रावक को आहर शुद्धि व व्यसन मुक्ति की साधना करनी चाहिए। जीवन में कोई भी प्रकार का नशा न हो। नशा नाश का द्वार है, सामाजिक बुराई है। आहार शुद्धि व व्यसनमुक्ति की साधना करनी चाहिए। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष हनुमानमल दुगड़, मुख्य न्यासी बाबूलाल गंग, मंत्री बालचंद दुगड़ ने सम्यक्त्व दीक्षा कलैंडर मुनिश्री को भेंट कर विमोचन किया। संयोजक भूपेंद्र शामसुखा ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन मंत्री बालचंद दुगड़ ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।