आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 14वें महाप्रयाण दिवस के आयोजन
बीड़
मुनि डॉ0 पुलकित कुमार जी, मुनि आदित्य कुमार जी, स्थानकवासी श्रमण संघ के उपप्रवर्तक डॉ0 गौरव मुनि जी, आयंबिल आराधिका साध्वी प्रफुल्लाजी एवं लोगस्स आराधिका साध्वी उदिता जी के सान्निध्य में प्रेक्षाध्यान प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 14वें महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष्य में स्मरणांजलि समारोह का आयोजन सकल जैन समाज तथा तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में जैन भवन में किया गया। इस अवसर पर मुनि डॉ0 पुलकित कुमार जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जैनाचार्य होते हुए भी जन-जन के आचार्य थे। उनके पास समाधान प्राप्त करने के लिए जनसाधारण व्यक्ति ही नहीं राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जैसे बड़े-बड़े साइंटिस्ट भी उपस्थित होते थे। प्रेक्षाध्यान के द्वारा ध्यान के रहस्य को उन्होंने जनता के सामने प्रस्तुत करते हुए शारीरिक व मानसिक ही नहीं भावनात्मक रूप में भी कैसे महत्त्वपूर्ण है, बताया।
लोगस्स आराधिका साध्वी उदिताजी ने कहा कि महापुरुष महाप्रज्ञ का जीवन गुण सूत्रों पर खरा उतरता है। उन्होंने मानव को मानवता का जीवन जीना सिखाया था। आयंबिल आराधिका साध्वी प्रफुल्लाजी ने कहा कि जिसके पास होता है सद्गुणों का खजाना उसे याद करता है जमाना। आचार्य महाप्रज्ञ विद्वान आचार्य होते हुए भी विनम्र समर्पित और गुरु उपकार के प्रति कृतज्ञ थे।
उपप्रवर्तक गौर मुनि जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अच्छा रास्ता युग को मार्गदर्शन करते हुए बताया, उनके जीवन में समर्पण, सेवा, श्रद्धा और अनुशासन का बल विशेष था। स्मरणांजलि समारोह का प्रारंभ मुनिश्री के महामंत्रोच्चार से हुआ। मंगलाचरण कन्या मंडल द्वारा किया गया। मुनि आदित्य जी ने गीत एवं वक्तव्य के द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। लोंकाशाह अखबार के संपादक विजयराज बंब, आनंद ऋषि डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रमुख गौतमचंद खटेड़, सकल जैन समाज के प्रमुख अशोक लोढ़ा उपासक सुभाष समदरिया, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लेमकरण समदरिया ने अपने विचार व्यक्त किए। तेममं की बहनों ने गीत तथा ज्ञानशाला के विद्यार्थियों ने विनयांजलि प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन ओझल समदरिया ने तथा आभार ज्ञापन अतुल मौजकर ने किया।