आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 14वें महाप्रयाण दिवस के आयोजन
बीदासर
बीदासर केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 14वाँ महाप्रयाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि महाप्रज्ञ वह बनता है जो कषायों का उपशम करता है, गुरु के प्रति सर्वात्मना समर्पित होता है, प्रसन्नता के रसायन का सेवन करता है, प्रतिक्रिया मुक्त जीवन जीता है। टमकोर के छोटे से गाँव में जन्म नत्थू अज्ञ थे। वे अज्ञ से विज्ञ बने, विज्ञ से विशेषज्ञ, प्रज्ञ और फिर महाप्रज्ञ बने। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि वे स्वयं भी टमकोर की होने से गौरव का अनुभव करती हैं। शासनश्री साध्वी साधनाश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने विनम्र और योग्य शिष्य बनकर गुरु के हर निर्देश को क्रियान्वित किया तो एक महान गुरु के रूप में संघ को नए अवदान और नई ऊँचाइयाँ भी दी।
साध्वी संघप्रभा जी ने कहा कि महाप्रज्ञजी एक योग्य, योग्यतर और योग्यतम शिष्य थे। इसीलिए आचार्यश्री तुलसी ने कहा कि मेरे जीवन की श्रेष्ठतम उपलब्धि हैµआचार्य महाप्रज्ञ। साध्वी ऋजुप्रभा जी ने कहा कि पुरुषार्थ और प्रतिभा की बेजोड़ मिसाल हैµआचार्यश्री महाप्रज्ञ। साध्वी विमलप्रभा जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का जीवन बिंदु से सिंदु की यात्रा है और उन्हें सिंदु बाने वाले थे आचार्यश्री तुलसी। साध्वीवृंद ने गीत की प्रस्तुति दी। महिला मंडल की अध्यक्षा चंदा देवी गिड़िया, एकता बैंगानी, विमल दुगड़, नवदीप बैंगानी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का मंगलाचरण ज्ञानशाला के बच्चों ने अष्टकम् से किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी गीतार्थप्रभा जी ने किया।