अर्हम्

अर्हम्

मंगल गावां हां
ओ अवसर अनमोलो आयो रे। मंगल गावां हां।
अनमोलो आयो है कि खुशियाँ री। सौगात लायो रे।।

अमल धवल ओ संघ काफिलो, आनंद खुश मनावै रे।
विरुदावलिया गाँवें मन वाणी, मधुरी तान सुनावै रे।। मंगल।।

चयन दिवस की अगवानी में ऊगी भोर निराली रे।
सर्दी में आं धूप जिसी, छाई खुशहाली रे।। मंगल।।

प्रमुखाश्री जी रे चरणां में श्रद्धा (रा) फूल महके रे।
डायमन नगरी में ये तो, श्वेत कोयलिया चहके रे।। मंगल।।

अजब-गजब रा पारखी (गण) गणपति है आपां रां रे।
तलहटी में जा रतन निकाल्यों, निरखां आपा रे।।

देह निरोगी रहे आपरी, क्षण-क्षण भावना भावां रे।
युग-युग पावां थारी शासना, सपन सजावा रे।।
युग-युग पावां थारी शासना, उत्सव सदा मनावा रे।।

म्हैं बैठया हां खैराकलां में दूर स्यूं घणां बधावा रे।
मनड़ों मारो गुजरात में, म्हें दर्शन चावां रे।।

चलो देखन ने---