त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का समापन
पूर्वांचल-कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्त्वावधान में तेरापंथ सभा पूर्वांचल द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का समापन तुलसी वाटिका में हुआ। जिसमें अच्छी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि प्रत्येक आत्मा पारस है। किंतु मोहावरण के कारण उसका स्वरूप प्रकट नहीं हो रहा है। स्वरूप को प्रकट करने का माध्यम है ध्यान। ध्यान भोग से योग, राग से विराग, विभाग से स्वभाव तथा असंयम से संयम की यात्रा है। ध्यान से प्रमोद भावना, करुणा, मैत्री, मध्यस्थता का विकास होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आज प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का समापन नहीं शुभारंभ हो रहा है। नियमित ध्यान साधना करने से वृत्तियों में बदलाव आता है, सम्यक् दृष्टिकोण का विकास होता है। सभी संभागियों, व्यवस्थापकों और मुख्य प्रशिक्षक के प्रति आध्यात्मिक शुभकामना। इस अवसर पर मुख्य प्रशिक्षक विमल गुनेचा ने कहा कि प्रेक्षाध्यान की साधना से जीवन में बदलाव आता है।
शिविर में सरला दुगड़, सीमा पुगलिया, कपिला सिंघी, भारती संचेती, वीणा पुगलिया, अनुपम गुप्ता, मोनिका जैन, पलक चपलोत, अंजु दुगड़, सरला बच्छावत, विद्या बैद आदि ने अपने-अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम का संचालन सरला गंग ने और आभार सुधा जैन ने किया। कार्यशाला में 75 संभागी थे। मुख्य प्रशिक्षक का सभा द्वारा सम्मान किया गया और संभागियों को प्रमाण-पत्र दिए गए। कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्वांचल सभा व अवनी के कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा।