अक्षय तृतीया के विविध आयोजन
बीदासर
समाधि केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का कार्यक्रम मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी रचनाश्री जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में व्यवस्थित रूप से इसका आयोजन वि0सं0 2026 ऊटी में प्रारंभ हुआ। अक्षय तृतीया का यह पर्व भगवान ऋषभ से जुड़ा हुआ है। भगवान ऋषभ विहरण करते-करते हस्तिनापुर पहुँचे। बाहुबली के पौत्र श्रेयांस के हाथों आज ही के दिन भगवान का पारणा हुआ। ऋषभ का जन्म यौगलिक युग में हुआ, किंतु वे अतीन्द्रिय चेतना संपन्न प्रतिभाशाली महापुरुष थे। विलक्षण नेतृत्व, विशिष्ट कर्तृत्व से लोगों को जीने की कला सिखाई।
भगवान ऋषभ ने जहाँ समाज की संरचना की वहीं उन्होंने धर्म युग का प्रवर्तन भी किया। तप, त्याग और संयम की प्रेरणा दी। अक्षय तृतीया-इच्छाओं के अल्पीकरण का संदेश देता है। संयम की उदात्त चेतना को विकसित करने का महापर्व है-अक्षय तृतीया। कर्म युग, धर्म युग के अवतरण का पर्व है-अक्षय तृतीया। प्रवृत्ति-निवृत्ति के संतुलन का पर्व है-अक्षय तृतीया। साध्वी संघप्रभा जी ने ऋषभ शब्द की व्याख्या करते हुए भगवान ऋषभ के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डाला। शासनश्री साध्वी अमितप्रभा जी ने साध्वी गौरवप्रभा जी और बहन लक्ष्मी देवी बैंगानी के वर्षीतप की अनुमोदना की। साध्वी लब्धियशा जी ने अपनी बहन साध्वी गौरवप्रभा जी के प्रति मंगलकामना व्यक्त की।
महिला मंडल की अध्यक्षा चंदा देवी गिड़िया और अजित बैंगानी ने अपने विचार रखे। नवदीप बैंगानी, साधना देवी बैंगानी और लक्ष्मी देवी बैंगानी के पारिवारिकजनों ने गीत के द्वारा उनके तप की अनुमोदना की। साध्वी गौरवप्रभा जी ने अपने वक्तव्य में, तप में सहयोगी सभी साध्वियों और श्रावक-श्राविकाओं के प्रति आभार व्यक्त किया। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति दी। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। साध्वी कौशलप्रभा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।