आचार्यश्री महाश्रमण जी का 62वें जन्म दिवस का आयोजन
मंडिया
तेरापंथी सभा, मंडिया द्वारा आचार्यश्री महाश्रमण जी का 62वाँ जन्म दिवस तेरापंथ भवन में मनाया गया। कार्यक्रम नवकार मंत्र के संगान से शुरू हुआ। मुनि रश्मि कुमार जी ने कहा कि ‘म’ से महावीर ‘म’ से महाश्रमण एक तीर्थंकर व दूसरे उनके पट्टधर भगवान महावीर ने अपनी साधना पूर्ण कर ली, आचार्यश्री महाश्रमण उस ओर निरंतर लगे हुए हैं। एक बार आचार्य महाप्रज्ञ जी से प्रश्न किया गयाµभंते! महाश्रमण जी को महातपस्वी क्यों कहा? आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने व्याख्या करते हुए फरमाया कि महातपस्वी वह होता है जो आहार संयम करता है। महाश्रमण का आहार संयम अनुत्तर है। महातपस्वी वह होता है, जिसमें इंद्रियाँ संयम होता है। महातपस्वी वह होता है, जो श्रमशील होता है।
आचार्य महाश्रमण का आहार संयम, इंद्रिय संयम, श्रमशीलता, सहनशीलता, अनुत्तर है, बेजोड़ है, इसीलिए आप महातपस्वी महाश्रमण हैं। मुनि प्रियांशु कुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। सभा अध्यक्ष नरेंद्र दक ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सत्यनारायण गौतम ने अपने विचार रखते हुए मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। मैसूर से समागत कांताबाई नौलखा ने अपने विचार रखे। तेममं द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई। स्थानकवासी समाज से मंत्री विजयराज तलेसरा एवं तेममं अध्यक्षा पुष्पा बाफना, विनोद भंसाली, किशनलाल आच्छा ने अपने विचार व्यक्त किए। तेयुप अध्यक्ष प्रवीण दक ने मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए विचार रखे। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा द्वारा मुख्य अतिथि सत्यनारायण गौतम का जैन पटके द्वारा अभिनंदन किया गया। मंत्री महावीर भंसाली द्वारा आभार ज्ञापन किया गया।