आचार्यश्री तुलसी के प्रति उद्गार

आचार्यश्री तुलसी के प्रति उद्गार

मंगलकारी नाम तुलसी लागै प्यारो।
जप ले माता वदना रो लाल दुलारो।।

चंदेरी में जन्म लियो हो, गंगाणै में स्वर्ग सिधाया गूँजे जयकारो।
चम्पक लाड़ां रो वीरो तुलसी हार हियारो।।

अणुव्रत प्रेक्षा अलख जगाई, अजब गजब री प्रभु पुण्याई।
सात समंदर पार तेरापंथ गूँजे नारो।।

मस्तक री मणि कियो उजासो, नयणां प्रभु रै शांति रो वासो।
घोर विरोधी आया बै भी लोहो मान्यो थारो।।

पौरुष री जीवंत निशानी, संघर्षों में हार न मानी।
श्रमशीलता बेजोड़, निरख्या नयो निजारो।।

आगम ज्ञाता अनुभवदाता, सफल व्याख्याता युग निर्माता।
सदी बीसवीं रो चमके तुलसी ध्रुव तारो।।

शासन भाषन विश्व विकासन, पाप प्रणाशन धर्म प्रकाशन।
हर पीढ़ी रा पथ दर्शन भव स्यूँ पार उतारो।।

ट्रस्ट बाफना सीन निरालो, जुग-जुग रहसी नाम तिहारो।
नैतिकता रो शक्तिपीठ फैलावै उजियारो।।

पुण्यतिथि म्है आज मनावां, गुरुवर तुलसी रा गुण गावाँ।
महाश्रमण रो शासन दीपै, दृश्य निहारो।।

लय: स्वामी भीखण जी----