आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा दिवस के आयोजन
ईरोड
आचार्यश्री महाश्रमण जी का 50वाँ दीक्षा कल्याण पर साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी ने कहा कि महाश्रमण वह होता है, जिसका दिल करुणा से भीगा होता है। ऋजुता से रंगा हुआ है और तन संयम में सधा हुआ है। प्रास्य विद्याओं के मर्मज्ञ हैं, समयज्ञ हैं, आगमज्ञ हैं। मन की पवित्रता है, विचारों की निर्मलता है। आपकी इंदिय संयम, दृष्टि संयम, वचन संयम की साधना पराकाष्ठा तक पहुँच गई है। जो आपके आभामंडल में आ जाता है, वो आपका ही बन जाता है। इसके पीछे कारण है तेजस्वी संन्यास का प्रभाव।
साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि आचार निष्ठा, गुरु निष्ठा, संघनिष्ठा, मर्यादा निष्ठा का नाम है आचार्यश्री महाश्रमण। आचार्यश्री महाश्रमण जी की मोहन से महाश्रमण की यात्रा का घटक तत्त्व है, पुरुषार्थ, श्रमनिष्ठा साध्वी दक्षप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मेरुप्रभा जी ने संचालन किया। अमिता बैद, पूनम दुगड़ के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। स्वागत भाषण सभा अध्यक्ष सुरेंद्र भंडारी ने किया। तेयुप अध्यक्ष सुभाष एवं टीम द्वारा सामूहिक गीत प्रस्तुत किया गया। तेममं, ईरोड अध्यक्षा सुनीता भंडारी ने विचार रखे। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री दुलीचंद पारख ने किया।