त्रिदिवसीय जीवन विज्ञान प्रशिक्षण शिविर
अध्यात्म साधना केंद्र, दिल्ली।
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी, अणुव्रत समिति ट्रस्ट, दिल्ली अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास व सहयोगी संस्था जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित जीवन विज्ञान प्रशिक्षण शिविर तेरापंथ भवन, महरौली आयोजित हुआ। जिसमें शिक्षा विभाग, दिल्ली के अधिकारीगण उपस्थित हुए। उद्धाटन सत्र का प्रारंभ अणुव्रत समिति ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा अणुव्रत गीत के संगान व शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के मुख्य प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन ने कहा कि शिक्षा जीवन की अधिष्ठात्री है। शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि सद्संस्कारों के जागरण का माध्यम है। शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए जीवन विज्ञान वरदान है।
दिल्ली के शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने कहा कि जीवन विज्ञान विधायक भावों का निर्माण करता है। उन्होंने स्वस्थ, संतुलित व सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास के लिए जीवन विज्ञान को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बताते हुए कहा कि इसे सभी विद्यालय में लागू होना चाहिए। दक्षिण दिल्ली के उप-शिक्षा निदेशक डॉ0 अशोक त्यागी ने कहा कि आज संस्कारों का हृास होता जा रहा है। पाश्चात्य संस्कृति के कारण व्यक्ति त्याग, संयम व भारत की प्राचीन संस्कृति को भूलता जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में नैतिक मूल्यों व विद्यालय के विकास की दृष्टि से जीवन विज्ञान बहुत पसंद उपयोगी है एवं इसे जीवन की शैली के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के महामंत्री भीखमचंद सुराणा, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी की उच्च शिक्षा प्रभारी डॉ0 हंसा संचेती, जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया के वक्तव्य हुए। आभार ज्ञापन अणुव्रत समिति ट्रस्ट, दिल्ली के अध्यक्ष शांतिलाल पटावरी ने किया। कार्यक्रम संयोजन जीवन विज्ञान दिल्ली प्रभारी बाबूलाल दुगड़ ने किया। उद्घाटन सत्र में संयुक्त शिक्षा निदेशक नाहर सिंह, एस0सी0ई0आर0टी0 की निदेशक रीता सिंह, डी0आर0ई0टी0 के प्राचार्य अनिल सिंह, नोडल ऑफिसर व कोऑर्डिनेटर श्यामसुंदर सिंह, हैरिटेज स्कूल प्रमुख नमित जैन, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के कार्यसमिति सदस्य सुरेंद्र नाहटा, अणुव्रत समिति ट्रस्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल बैंगानी, मंत्री धनपत नाहटा, संगठन मंत्री मनोज बरमेचा, कल्पना सेठिया, राज गुनेचा, विमल गुनेचा सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
प्रथम प्रशिक्षण सत्र में जीवन विज्ञान के प्रायोजक व सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिए गए। प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान के सैद्धांतिक व प्रायोगिक पक्ष का प्रशिक्षण हनुमान शर्मा ने कराया। शरीर विज्ञान के संदर्भ में प्रशिक्षक अजय शर्मा ने जानकारी दी। कायोत्सर्ग के सैद्धांतिक व प्रायोगिक पक्ष को रमेश कांडपाल ने बताया। जीवन विज्ञान सिद्धांत व जीवन विज्ञान की जानकारी वरिष्ठ प्रशिक्षक राकेश खटेड़ ने दी। अनुप्रेक्षा के प्रयोग रीना गोयल ने करवाया एवं प्राकृतिक चिकित्सा व जीवन शैली पर डॉ0 काजल भट्ट ने जानकारी दी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का द्वितीय सत्र प्रारंभ हुआ। जिसमें प्रशिक्षक हनुमान शर्मा ने प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान के अंतर्गत आसन, प्राणायाम, कायोत्सर्ग, ज्ञान केंद्र, प्रेक्षा संकल्प आदि पर प्रकाश डाला एवं प्रयोग कराए। आसन प्राणायाम सत्र योग प्रशिक्षक धमेन्द्र व रितिका ने लिया। साधना केंद्र के वरिष्ठ शिक्षक अजय शर्मा ने शरीर विज्ञान के श्वास, पाचन, नाडी व ग्रंथि तंत्र पर प्रकाश डाला व शरीर के एक-एक अवयव क्या कार्य करते हैं अवगत कराया। रीना गोयल ने अनुप्रेक्षा के प्रयोग कराए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की डॉ0 सुमन लुथरा ने आहार सिद्धांत पर वक्तव्य दिया। राज गुनेचा ने मुद्रा विज्ञान पर प्रकाश डाला। पूर्व की भांति इस सत्र में सारे पाठ्यक्रम रहे। सभी ने दो दिनों के प्रशिक्षण की पुनरावृत्ति की व अपनी जिज्ञासा प्रस्तुत की।
प्रशिक्षण सत्र के बाद समापन समारोह हुआ। इस सत्र में अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन, डॉ0 अनिल तेवलिया एवं नोडल ऑफिसर व कोऑडिटनेटर श्यामसुंदर सिंह ने अपने विचार रखे। जीवन विज्ञान की उपयोगिता के माध्यम से कैसे सर्वांगीण विकास हो सकता है उसके बारे में अवगत कराया। तीन दिवसीय शिविर में उपनिदेशक, प्रधानाचार्य व अध्यापकगणों (102) ने भाग लिया। समापन कार्यक्रम का संयोजन जीवन विज्ञान, दिल्ली के प्रभारी बाबूलाल दुगड़ ने किया। रमेश कांडपाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में अणुव्रत महासमिति के पूर्व अध्यक्ष बाबूलाल गोलछा, तेरापंथी सभा, दिल्ली के सुशील कुहाड़ एवं मुकेश सेठिया आदि गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।