आचार्यश्री महाश्रमणजी के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव के आयोजन

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आचार्यश्री महाश्रमणजी के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव के आयोजन

दलखोला
आचार्यश्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव, पदाभिषेक एवं 50वाँ दीक्षा दिवस संयम अभिवंदना के रूप में मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी का व्यक्तित्व अपने आपमें एक विशिष्ट व्यक्तित्व है। उनके जीवन में कितने-कितने गुणों का समावेश हुआ है। कोई भी व्यक्ति गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है। आचार्यश्री महाश्रमण जी जीवन के प्रारंभ में ही गुणों का विकास करते रहें। उनके जीवन में विनम्रता का गुण एक विशेष गुण रहा है। आचार्यश्री महाश्रमण जी ने दूर देश के साथ विदेश की धरती नेपाल और भूटान की यात्रा करके एक कीर्तिमान स्थापित किया। जन-जन को अहिंसा यात्रा के माध्यम से मानवता से जुड़ने का अवसर मिला। आचार्यश्री महाश्रमण जी के भीतर प्रारंभ से ही अप्रमाद का भाव एवं साधुत्व के प्रति जागरूकता का भाव रहा है। समभाव की साधना की प्रेरणा स्वतः मिल रही है। श्रावक समाज अध्यात्म की दिशा में विकास करता रहे। परिवार में समाज में समन्वय का भाव बढ़ता रहे।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि अनेक जन्मों से जीव संसार में भ्रमण करता आ रहा है। जन्म कहाँ लेना व्यक्ति के हाथ में नहीं परंतु जीवन कैसे जीना व्यक्ति पर निर्भर करता है। सहज, सरल, सौम्य, मधुरभाषी साधक पुरुष का नाम है आचार्यश्री महाश्रमण जी। आचार्यश्री महाश्रमण स्वयं अपनी आत्मा का कल्याण करते हुए धर्मसंघ में आत्मकल्याण के विकास का अनुचिंतन कर रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुआ। सभा अध्यक्ष नौरंग नाहर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। महासभा प्रभारी सुजान सेठिया, बिहार-नेपाल सभा के मंत्री विरेंद्र संचेती, महासभा उपाध्यक्ष नेमीचंद बैद, उत्तर-बंगाल ज्ञानशाला आंचलिक प्रभारी लक्ष्मीपत गोलछा, बिहार ज्ञानशाला प्रभारी धर्मचंद श्रीमाल, नगर पालिका चेयरमैन स्वदेश सरकार, ज्ञानशाला दलखोला, तेयुप, तेममं, बसंत बागरेचा इस्लामपुर सभा के मंत्री, किशनगंज महिला मंडल अध्यक्षा संतोष, गुलाबबाग सभा अध्यक्ष सुशील संचेती ने वक्तव्य, गीत, नाटक के द्वारा प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन सभा मंत्री पवन दुधेड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमुद कुमार जी ने किया।