अर्हम

अर्हम

जन्म दिवस गुरुवर का आया,
जन-जन के मन हर्ष सवाया,
तुलसी गुरु का प्रतिपल साया,
देख योग्यता शिखर चढ़ाया।।

प्रभुवर थे गुण के भंडार,
महावीर के थे अवतार,
किया था जन-जन का उद्धार,
महिमा उनकी अपरंपार।।

प्रेक्षाध्यान है देन तुम्हारी,
मिटती इससे सकल बीमारी,
पल-पल आत्मा से इकतारी,
बार-बार जाता बलिहारी।।

माँ बालू के नंदन प्यारे,
चौरड़िया कुल के उजियारे,
भिक्षु गण के थे ध्रुव तारे,
लाखों जन के नयन सितारे।।

प्रवचन शैली बड़ी विलक्षण,
श्रोता सुन ही जाता धन-धन,
श्रम बूँदों से सींचा ये गण,
चरण कमल में करता वंदन।।

माता सह दीक्षा है पाई,
दिल की कली-कली विकसाई,
सन्निधि प्रभु की थी सुखदाई,
कालू गुरु मन छाप जमाई,
तुलसी गुरु मन छाप जमाई।।